मातृभाषा’ की जगह नहीं ले सकती कोई भी भाषा: प्रो. द्विवेदी
गुवाहाटी(चलते फिरते ब्यूरो)। "कोई भी भाषा किसी व्यक्ति की मातृभाषा की जगह नहीं ले सकती। हम अपनी मातृभाषा में सोचते हैं और उस पर हमारा स्वाभाविक अधिकार होता है। मातृभाषा में सोचने और बोलने से अभिव्यक्ति में आसानी होती है और हमारा…
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