आत्मनिर्भरता के मंत्र से सशक्त बनेगा भारत

डॉ मोनिका खत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है। आत्मनिर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम करे। मोदी ने कहा कि आज देशवासियों के मन में एक काश है, काश हम मेडिकल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते। काश हम डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते। काश हम सोलर पैनल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां पर देश में काश घूम रहा है। बीते 5-6 सालों में,देश की नीति और रीति में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है। मोदी ने कोरोना संकट के इस दौर में भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इस पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान का नाम दिया गया है। यह आर्थिक पैकेज दरअसल देश के मध्यम और निम्न माध्यम वर्ग के लोगों के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है। ये आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए है जो भारत के आर्थिक सामर्थ्य को बुलंदी देने के लिए संकल्पित है। संकट के समय में, लोकल ने ही हमें बचाया है। समय ने हमें सिखाया है कि लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा। आपको आज जो ग्लोबल ब्रांड्स लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल लोकल थे। हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल प्रॉडक्ट खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है।
आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री ने पांच बातों को पांच स्तंभ बताते हुए उन के महत्व को भी समझाया। पहला स्तंभ है इकोनॉमी जो इंक्रीमेंटल चेंज नहीं, बल्कि क्वांटम जम्प लगाए। दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने। बड़ा बदलाव कराए। तीसरा सिस्टम जो बीती शताब्दी का नहीं, 21वीं की टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। चौथा डेमोग्राफी जो सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में वायब्रेंट डेमोग्राफी हमारी ताकत है। पांचवीं डिमांड जो हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन के चक्र और ताकत को पूरी क्षमता से इस्तेमाल करना जरूरी है। डिमांड बढ़ाने और इसे पूरा करने के लिए सप्लाई चेन के हर स्टेक होल्डर का सशक्त होना जरूरी है।
भारत कोरोना महामारी से जूझ रहे विश्व के सामने इकोनॉमी रिवाइवल का एक उदाहरण पेश करेगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित 20 लाख करोड़ का पैकेज भारत के हर नागरिक चाहे वो किसान हो, छोटा उद्योमी हो या किसी स्टार्टअप से जुड़ा युवा हो, उसके समक्ष नए अवसरों के युग की शुरुआत करेगा। दुनिया भर में इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो रही है कि इस महामारी के चपेट से तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाएं कैसे उबरेगी। कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। भारत के आर्थिक क्षेत्र में दुनिया को चकित और प्रेरित करने की क्षमता है। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है और देश के सामने बहुत सारी चुनौतियां और परेशानियां है। सरकार इन्हें दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।