पावर हब बना कोटा

डॉ.प्रभात कुमार सिंघल ,लेखक एवं पत्रकार, कोटा

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय कोटा जिले में विद्युत उपलब्धता का ऐसा दृश्य नहीं था जैसा आज आजादी के 72  साल बाद नजर आता है। उस समय केवल एक कस्बे एवं एक गांव में बिजली थी जबकि वतर्मान में सभी शहरों एक 855 गांवो में विद्युत सुविधा उपलब्ध हैं। यह परिदृश्य जिले के विद्युत विकास की कहानी स्वयं कहता है। रियासत काल में कोटा शहर में एक मात्र स्टीम आधारित पावर हाऊस था जिसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 324 किलोवाट थी। वर्ष 1957 तक जिले में घरेलू उपयागे में 0.39 मिलियन विद्युत उपयोग में लाई जाती थी।
विधुत उत्पादन
कोटा जिला आज विद्युत उत्पादन का हब बन गया। कोटा शहर से 60 किलो मीटर की परिधि में अणु, पानी, कोयला एवं गैस पर आधारित विद्युत उत्पादन की परियोजनायें  इस भू-भाग की विशेषतायें बन गई है। कोटा में चम्बल नदी के परिचय में सुपर थर्मल पावर परियोजना राण प्रताप सागर एवं कोटा डेम पर पन बिजलघर रावत भाटा में परमाणु बिजलीघर तथा अंता में गैस आधारित नेशनल थर्मल पावर प्रोजेक्ट विद्युत उत्पादन कर रहे हैं। इन परियोजनाओं वर्तमान में कुल 3511.3 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा हें
दुनिया का दूसरा बड़ा उत्पादन केन्द्र
चम्बल नदी घाटी परियोजना ने सिंचाई एंव पेयजल सुविधाओं के विकास साथ विद्युत उत्पादन के द्वार भी खोले। कोटा से करीब 65 कि.मी. दूर (चित्तौड़गढ़ जिला) रावतभाटा में में स्थापित राजस्थान परमाणु बिजली घर ने देश व्यापाी पहचान बनाई है। परमाणु विद्युत उत्पादन में रावतभाटा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन केन्द्र बन गया है। वर्ष 1963 में कनाड़ा के सहयोग से 110-110 कुल 220 मेघावाट विद्युत उत्पादन क्षमता की दो इकाइयां प्रारंभ की गई। इन्होंने क्रमशः 1973 एवं 1981 में विद्युत उत्पादन शुरू किया।
भारतीय आण्विक विद्युत विस्तार के तहत 570 मीलियन डालर की लागत से स्थापित की गई। 220 में मेघावट क्षमता की इकाई-3 ने 24 दिसम्बर 1999 से तथा इतनी ही क्षमता की इकाई-4 ने 1 जून 2000 को क्रान्तिक किया गया जिन्होंने क्रमशः 1 जून 2000 तथा 23 दिसम्बर 2000 से व्यवसायिक विद्युत प्रारंभ किया।
अगले चरण में 220 मेगावाट क्षमता की पांचवीं इकाई तथा 220 मेगावाट क्षमता की छटीं इकाई स्थापित की गई। पांचवीं इकाई ने 4 फरवरी 2010 एवं छटी इकाई ने 31 मार्च 2010 से व्यवसायिक उत्पादन प्रारंभ किया। विस्तार के क्रम में 700 मेगावाट श्रेणी की दो नई भारतीय डिजाइन पर अधारित 123.2 बिलियन राशि की यूनिट न.7 एंव 8 की स्थापना की गई। सातवीं इकाई में 14 दिसम्बर 2012 उत्पादन प्रारंभ कर दिया है।
परियोजना ने 2010 में सबसे अधिक 1202 लाख यूनिट विद्युत का उत्पादन किया। वर्ष 2013 में रिकार्ड 360 करोड़ रूपये की विद्युत उत्पादन किया। इसी प्रकार चम्बल नदी परियोजना के अन्तर्गत योजना के प्रथम चरण में गांधी सागर बांध (मध्य प्रदेश) पर 23-23 मेगावाट उत्पादन क्षमता की चार इकाइंया स्थापित की गई। दूसरे चरण में रावतभाटा (चित्तौड़गढ़, जिला) के राणा प्रताप सागर बांध पर 43-43 मेगावाट क्षमता की चार इकाइयां लगाई गई। इनसे 1968-1969 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया गया। तीसरे चरण मंे जवाहर सागर बांध(बूंदी जिला) पर 33-33 मेगावाट क्षमता की तीन पन विद्युतगृह इकाइयां स्थापित की गई। इन तीनों इकाइयों ने वर्ष 2013 में  विगत सात वर्ष का रिकोर्ड तोड़ कर 139.68 करोड़ रूपये की 3432.40 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया।
कोटा थर्मल पावर स्टेशन
विद्युत उत्पादन के प्रयासों का सिलसिला सत्त रूप से चलता रहा। कोटा बैराज के अप स्ट्रीप में चम्बल नदि के परिचय की ओर कोयले पर आधारित थर्मल पावर स्टेशन लगाने की योजना 1970 के दशक में बनाई गई। परियोजना के प्रथम चरण में 110-110 मेगावाट विद्युत उत्पादन की दो इकाइयों का निर्माण कार्य 17 जनवरी 1970 से प्रारंभ किया गया। इकाई-1 ने जनवरी 1983 एवं इकाई-2 ने जुलाई 1983 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया। दूसरे चरण में 210-210 मेगावाट की दो इकाइयां स्थापित की गई। इकाई-3 ने सितम्बर 1998 एवं इकाई-4 ने मई 1989 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया। चौथे चरण में 210 मेगावाट क्षमता की इकाई-5 एवं 195 मेगावाट क्षमता की छटी इकाई स्थापित की गई। इकाई-5 ने मार्च 1994 एवं इकाई-6 ने जुलाई 2003 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया। परियोजना के पांचवे चरण में 195 मेगावाट की 7 इकाई ने मई 2009 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया। इस प्रकार वर्तमान में परियोजना की 7 इकाइयों से 1241 मेगावाट विद्युत उत्पादन कर यह सुपर पावर स्टेशन बन गया है। परियोजना की विशेषता है कि सभी इकाइयां आज तक अच्छा कार्य कर रही है। इस परियोजना को उत्कृष्ठता विद्युत उत्पादन के लिये अनेक बार सम्मानित किया जा चूका हैं।
परियोजना के लिए कोयले की आपूर्ति सिंगरौली , कोरवा एंव रेवा से की जाती है। एक साथ 5 लाख टन मीटर कोयला भण्डारण की व्यवस्था है। परियोजना स्थल से 220 किलोवाट की ग्यारह लाइनों से बिजली बाहर भेजी जाती है।
नेशनल थर्मलपावर कार्पोरेशन लि
कोटा से 50 कि.मी. दूर अंता (बारां जिले) में नेशनल थर्मलपावर कार्पोरेशन लि. की गैस पर आधारित कुल 419.3 मेगावाट विद्युत उत्पादन की चार इकाइयां स्थापित की गई हैं। इस परियोजना पर 418.97 करोड़ रूपये व्यय किया गया है। प्रथम इकाई 88.7 मेगावाट की जनवरी 1989 में तथा इतनी ही क्षमता की दूसरी इकाई मार्च 1989 से एवं तीसरी क्षमता की दूसरी इकाई मार्च 1989 से एवं तीसरी इकाई मई 1989 मंे प्रारंभ की गई। चौथी इकाई 153.2 मेगावाट क्षमता की मार्च 1990 मंे प्रारंभ हुई। ये इकाइयां आईबीजे एवं विश्व बैंक सहयोग से स्थापित की गई। परियोजना को गैस की आपूर्ति साउथ बेसिन गैस फील्ड से एच‐बी‐जे‐ पाइप लाइन द्वारा की जाती है। एम.टी.पी.सी. कोयले एवं गैस पर आधारित विधुत उत्पादन की सबसे बडी कम्पनी है।
इसके साथ ही यदि हम कोटा संभाग के संदर्भ मंे देखे तो कोटा से 85 किलोमीटर दूर झालावाड़ शहर से 121 किलोमीटर पर कालीसिंध नदी के किनारे राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. द्वारा दो चरणों में 600-600 मेगावाट उत्पादन क्षमता की दो इकाइयां विद्युत उत्पादन कर रही हैं। प्रथम इकाई को मार्च 2014 में तथा दूसरी इकाई को जून 2014 में प्रारंभ किया गया। परियोजना को कालीसिंध बांध स ेजल की आपूर्ति तथा छत्तीसगढ़ राज्य से कोयले की आपूर्ति की जाती है।
संभाग को बारां जिले में 70 किलोमीटर दूर छबड़ा के समीप चौकी मेड़तीपुरा में 2320 मेगावाट क्षमता का सुपर थर्मलपावर की स्थापना की गई। यहांँ प्रथम चरण 250-250 मेगावाट क्षमता की प्रथम इकाई ने अक्टूबर 2009 तथा दूसरी इकाई ने 2010 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया। दूसरे चरण में 250-250 मेगावाट की क्षमता वाली तीसरी इकाई ने दिसम्बर 2013 में तथा चौथी इकाई ने जुलाई 2014 में विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया। तीसरे चरण में 660-660 मेगावाट क्षमता की पांचवी इकाई को अक्टूबर 2016 में सिन्क्रोनाइगड किया गया एवं छटी इकाई का निर्माण कार्य तेजी पर चल रहा है।
बारां से करीब 40 किलोमीटर दूर कवाई में अडानी समूह का 1320 मेगावाट क्षमता की 660-660 मेगावाट की दो इकाइयां स्थापित की गई हैं। राजस्थान में एक ही स्थान पर विद्युत उत्पादन का सबसे बड़ा थर्मल प्रोजेक्ट है। यह परियोजना 812 हेक्टर क्षेत्रफल में स्थापित की गई है। इसमें टाऊनशिप के लिए 30 हेक्र एवं पानी की पाईप लाइन के लिए 25 हेक्र भूमि भी शामिल है। 

वर्तमान परिदृश्य
वर्तमान परिदृश्य आश्चर्यचकित कर देने वाला है। प्रयासों का ही परिणाम है कि मार्च 2017 तक जिले में विद्युत की कुल खपत 16 हजार 605 लाख यूनिट हो गई। घरेलू उपयोग में 5230 लाख यूनिट व्यवसायी उपयोग में 1970, उद्योग मंे 4510, सिंचाई में 3810, जलप्रदाय मंे 510, सार्व प्रकाश में 305 तथा अन्य प्रकार उपयोग में 270 लाख युनिट उपयोग होने लगा। जिले 2 लाख 56 हजार 410 घरेलू एवं 37 हजार 070 व्यवसायिक कनेक्शन हैं। सिंचाई के लिए 25 हजार 784 नलकूपों पर कनेक्शन हैं। विद्युत आपूर्ति के जिले में 220 के.वी.के 3ए 132 के.वीे.के के 118 एवं 33/11 के.वी.के 104 ग्रिड सब स्टेशन स्थापित है।

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