नए साल में अर्थव्यवस्था में अच्छी ग्रोथ का अनुमान

देश की अर्थव्यवस्था के दावों और प्रतिदावों के बीच भारत सरकार इस दिशा में हर जतन प्रयास कर रही है जिससे अर्थ व्यवस्था में आशातीत सुधार हो। अर्थव्यवस्था और रोजगार का चोली दामन का साथ है। भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना संक्रमण से पहले ही अस्तव्यस्त हो गयी थी। निवेशकों के लाखों करोड़ों रूपये लुट चुके थे। बेरोजगारी अपने चर्म पर थी। दो हाथों को काम नहीं मिल रहा था। 2020 में कोरोना वायरस महामारी के चलते न सिर्फ भारतीय, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। लेकिन नया साल 2021 जन आकांशाओं के अनुरूप कई बड़े बदलाव लाएगा। यह उम्मीद की जारही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव, रिकवरी और अवसरों का आकलन करना महत्वपूर्ण है, जो नए साल 2021 में सामने आ सकते हैं।
अर्थशास्त्री नए साल में बहुत कुछ सुधार की उम्मीद रख रहे है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी वास्तविक आधार पर 147.17 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था के 9.6 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान जताया जा रहा है। लेकिन वास्तविक आधार पर गणना करने पर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर मात्र एक फीसदी ही रहने की संभावना है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2011-12 के मूल्य पर 2019-20 में देश की अर्थव्यवस्था का आकार 145.66 लाख करोड़ रुपये था। वास्तविक आधार पर अर्थव्यवस्था की गणना में मुद्रास्फीति के प्रभाव को भी जोड़ा जाता है। चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था के 7.8 फीसदी घटकर 134.33 लाख करोड़ रुपये रह जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है जो बहुत उत्साहपूर्ण नहीं कही जा सकती है। लेकिन 2021-22 में इसके 9.6 फीसदी की दर से बढ़कर 147.17 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में देश की अर्थव्यवस्था 10 फीसदी की दर से बढ़ेगी। वहीं साल के आखिर तक देश की अर्थव्यवस्था प्री-कोविड वाली स्थिति में पहुंच जाएगी। नीति आयोग ने वित्त वर्ष 2021-22 के अंत यानी मार्च 2022 तक देश की आर्थिक वृद्धि दर कोविड-19 महामारी से पहले के स्तर पर ही पहुंच जाने की संभावना जताई है। हालाँकि वह भी कोई ज्यादा सुधार वाली नहीं थी।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को धराशायी कर दिया है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से साल 2020 में दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे तेज गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान करोड़ों लोगों की या तो नौकरी चली गई है या फिर कमाई कम हो गई है। सरकारें अर्थव्यवस्थाओं को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए अरबों डॉलर लगा रही हैं. हालांकि साल 2021 में आर्थिक रिकवरी अभी भी बेहद अनिश्चित है।
बताया जाता है कोरोना महामारी से लड़ने के लिए तैयार वैक्सीन को लेकर आ रही सकारात्मक खबरों की वजह से मार्केट में आर्थिक मोर्चे पर सकारात्मक सुधार की धारणा बनी हुई है और जिसकी वजह से बहुत से सेक्टर में अर्थ विशेषज्ञों ने सुधार की आशा जगाई है। हालांकि अभी भी बहुत से सेक्टर पटरी पर लौटने के लिए जूझ रहे हैं जानकारी के अनुसार आने वाले समय में उन सेक्टर्स की हालत में भी सुधार आता हुआ दिखाई पड़ सकता है। मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में सीमेंट, कंज्यूमर ड्यूरेबरल और ऑटोमोबाइल सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं जिससे देश को अच्छी खबर मिलेगी। यह भी कहा जा रहा है जून 21 में केंद्रीय कर्मचारियों को रोका गया डीए मिलने की उम्मीद है जिससे करोड़ों रुपयों की राशि बाजार में आएगी जो लड़खड़ाती अर्थ व्यवस्था में कुछ सुधार की ज्योति प्रज्वलित करेगी। एक फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का नया आम बजट पेश करने वाली है। इस बजट में अर्थव्यवस्था को राहत के डोज की उम्मीद होगी। इस समय देश की सबसे बड़ी चिंता अर्थव्यवस्था में विकास दर की है। अभी सरकार की प्राथमिकता में राजकोषीय घाटा नहीं होगा। अभी तक भारत सरकार करीब 17.2 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया है, जो जीडीपी का करीब 9 फीसदी है। मगर राजकोषीय घाटे की सीमा को जीडीपी के 2 फीसदी तक ही रखा है। लोगों की निगाह केंद्रीय बजट पर टिकी है। अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए मोदी सरकार को राहत पैकेज देना होगा।
