फिर अखिलेश यादव ने की बड़ी गलती
लखनऊ। राजनीति में उतावलापन नुकसान पहुंचता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बार-बार राजनीति के इस फलसफे की अनदेखी कर अपना ही नुकसान करते हैं। बीते दिनों उन्होंने वायरस पर काबू पाने के लिए लाई जा रही वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन बताकर फिर से अपने उतावलापन का सबूत दिया है। अखिलेश यादव के इस बयान की देशभर में आलोचना हुई है।
कई बुद्धजीवियों ने तो अखिलेश यादव को उतावला और हताश नेता तक बता दिया। इन लोगों ने यह भी कहा कि यूपी में बीजेपी के मुकाबले अपनी पार्टी (सपा) को ना खड़ा कर पाने की हताशा में एक बार फिर अखिलेश यादव ने राजनीतिक उतावलेपन के चलती कुल्हाड़ी पर अपना पैर मार लिया है। हर नाजुक मौके पर वह ऐसा करते हैं। सत्ता में रहते हुए भी उन्होंने ऐसा किया था। सत्ता के बाहर आने के बाद भी वह ऐसा ही कर रहें है, क्योंकि अपनी गलती से अखिलेश कोई सबक नहीं लेते। ट्वीटर पर भी लोगों ने कोरोना को लेकर दिए गए अखिलेश के बयान की जमकर आलोचना की। अब कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन के बारे में जो बयान दिया है और उनकी पार्टी जिस तरह के प्रचार कर रही है वह बहुत बड़ी गलती है।
मालूम हो, अखिलेश यादव ने बीते दिनों वायरस पर काबू पाने के लिए लाई जा रही वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन बताया था और यह भी कहा था कि वे यह वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। उनके इस बयान के बाद उनकी पार्टी के एक नेताओं ने अफवाह उड़ाई कि कोरोना की वैक्सीन लगाने से लोग नपुंसक हो जाएंगे। इस तरह की अफवाहें पोलियो ड्रॉप्स के लिए भी उड़ाई गई थीं, जिसकी वजह से अनेक जगहों पर खास कर मुस्लिम समुदाय में इसका विरोध हुआ था। पाकिस्तान आदि देशों में आज भी पोलियो ड्रॉप्स पिलाने वालों पर हमले होते रहते हैं। बहरहाल, अखिलेश के इस बयान में अव्वल तो इस वजह से बड़ी गलती है कि वैक्सीन बीजेपी की नहीं है। वैक्सीन देश की है। दूसरी बात यह है की जिन दो वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिली है उसमें एक भारत बायोटक में स्वदेशी तकनीक से बनी है और दूसरी ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनियों ने तैयार किया है। इसे भारत के करदाताओं के पैसे से खरीदा जाएगा। इसलिए इसे बीजेपी की वैक्सीन नहीं कहा जा सकता है।
राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि इसे बीजेपी की वैक्सीन बता कर अखिलेश राजनीतिक नुकसान भी कर रहे हैं। ऐसे गलती उन्होंने ने सत्ता में रहते हुए की थी। तब उन्होंने तेजतर्रार आईएएस अफसर दुर्गा नागपाल को निलंबित कर दिया था। इस मामले में उनकी देशभर में फजीहत हुई थी। इसी के बाद मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक रूप से अखिलेश यादव के कामकाज की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी और सरकार के कामकाज को बेहतर करने के संबंध में सुझाव दिए थे। मुजफ्फरनगर कांड पर नियन्त्रण समय से नियन्त्रण ना कर पाने के लिए भी अखिलेश यादव के उतावलेपन तथा परिपक्वता पर सवाल उठे थे। इसके बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने और चुनाव के ठीक पहले चाचा शिवपाल यादव से मोर्चा खोलने का नुकसान भी पार्टी को झेलना पड़ा। बीते लोकसभा चुनाव में पिता मुलायम सिंह यादव की रजामंदी के बिना अखिलेश यादव ने मायावती के साथ चुनावी गठबंधन किया। इसका परिणाम भी अखिलेश यादव की सोच के विपरीत रहा।
अब फिर वायरस पर काबू पाने के लिए लाई जा रही वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन बता कर अखिलेश यादव अपना राजनीतिक नुकसान ही कर रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, अखिलेश यादव का यह बयान बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार को मजबूती देगा। प्रधानमंत्री मोदी पिछले दो महीने से वैक्सीन का माहौल बनाने में लगे हैं और यह मैसेज दे रहे हैं कि वे वैक्सीन ला रहे हैं। अखिलेश के बयान से लोगों में यह मैसेज जाएगा कि बीजेपी और मोदी वैक्सीन ला रहे हैं। वह लोगों को कोरोना से बचाने की जदोजहद में जुटे है और अखिलेश यादव इसकी खिलाफत कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अखिलेश करोड़ों भारतीयों का भी नुकसान कर रहे हैं। अगर उनके कहने से अगर थोड़े से लोग भी वैक्सीन नहीं लगवाते हैं और उनको संक्रमण होता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? बयान देने के पहले अखिलेश यादव को इस बारे में सोचना चाहिए था। लेकिन अखिलेश ने ऐसा नहीं किया। अखिलेश यादव किसान आंदोलन से लेकर दूसरे किसी मसले पर बीजेपी के खिलाफ आंदोलन नहीं कर रहे हैं लेकिन वैक्सीन पर इतना बेसिर-पैर का बयान दिया है, जिसका फायदा निश्चित रूप से बीजेपी को होगा। अब जो भी हो अपने उतावलेपन के चलते अखिलेश यादव कोरोना वैक्सीन को लेकर गैरजरूरी बयान देकर फिर अपना ही नुकसान करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।
