कोविड के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र पर्यटन और व्यापार के पसंदीदा केन्द्र के रूप में उभरेगा: डॉ जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आशा व्यक्तकी कि छुट्टियां बिताने के लिए भ्रमण पर निकलने वाले पर्यटक अगले सीजन से दुनिया के अन्य पर्यटक स्थलों की बजाए अलौकिक प्राकृतिक सुंदरता के लिए लोकप्रिय भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों का रुख करेंगे। उन्होंने कहा कि जिस समय विश्व कोविड उपरांत आर्थिक पुनरुत्थान की तरफ देख रहा है, उस दौर में पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत की विकास यात्रा का नया इंजन बनेगा।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बांस समेत अपने उस प्रकृतिक संसाधन का दोहन करेगा जिसका अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है, और इसकी मदद से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” और आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति मिलेगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने कच्चे बांस से बने उत्पादों पर आयात शुल्क में 25 प्रतिशत की वृद्धि की, इससे फर्नीचर, हस्तशिल्प उत्पाद और अगरबत्ती उद्योग में इस्तेमाल होने वाले घरेलू बांस को बढ़ावा मिलेगा और भवन निर्माण सामग्री के तौर पर बांस को प्रोत्साहित किए जाने में मदद मिलेगी। उन्होंने 100 वर्ष पुराने भारतीय वन अधिनियम में मोदी सरकार द्वारा 2017 में किए गए संशोधनों का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में उत्पादित बांस को इन नियमों से बाहर किया गया ताकि बांस उद्योग को बढ़ावा मिले और यह जीविकोपार्जन सुधारने में सहायक हो।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में सड़क, रेल और हवाई संपर्क सुधारने के लिए उल्लेखनीय विकास कार्य किए गए हैं जिससे न सिर्फ क्षेत्र में बल्कि समूचे देश में लोगों और सामानों के आवागमन में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के युवाओं में हाल के दिनों में महत्वाकांक्षा बढ़ी है, जो इस क्षेत्र को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आसियान देशों के साथ व्यापारिक और व्यावसायिक सम्बन्धों को बढ़ावा देने में देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की अहम भूमिका होगी। यह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के आर्थिक विकास का द्वार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने “लुक ईस्ट” की नीति को बदलकर “एक्ट ईस्ट” किया ताकि द्विपक्षीय सहयोग को एक नए मुकाम पर पहुंचाया जा सके।
इस बैठक में असम, त्रिपुरा, मणिपुर और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भी बैठक में विशेष भाषण दिया।
