# संक्रमण मामलों की कुल संख्या के अनुसार अब दिल्ली तीसरे नंबर पर है और रिकवरी रेट भी सबसे कम है
संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामले को लेकर भी दिल्ली सरकार की ओर से समुचित व्यवस्था न किए जाने और लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता व नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया।उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। इस अवसर पर दिल्ली भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना व मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री पर स्वास्थ व्यवस्था को ध्वस्त करने का आरोप लगाते हुए मीनाक्षी लेखी ने कहा कि संक्रमण मामलों की कुल संख्या के अनुसार अब दिल्ली तीसरे नंबर पर है और रिकवरी रेट भी दिल्ली में सबसे कम है। सोशल मीडिया पर दिल्ली सरकार की नाकाम स्वास्थ्य व्यवस्था की गवाही देते कई वीडियो मौजूद हैं। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि समय पर बेड ना मिलने के अभाव में लोगों की मृत्यु हो गई है, टेस्टिंग नहीं हो रही है, कई बच्चे अपने माता-पिता के इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम दिल्ली सरकार को उनकी कमियों को बताएं ताकि समय रहते उसे ठीक किया जा सके। केजरीवाल सरकार द्वारा किया गया सबसे बड़ा धोखा है मोहल्ला क्लीनिक। प्राथमिक चिकित्सा सुविधा देने के उद्देश्य के साथ खोले गए मोहल्ला क्लीनिक आज जरूरत के समय में बंद पड़े हैं। 90 से ज्यादा मेटरनिटी सेंटर भी बंद हो चुके हैं। दिल्ली में मेडिकल लेक्चरर की कमी है, जीबी पंत अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर बंद है, पीपीई किट की कमी है, ऐसे तमाम कमियों से दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था जूझ रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को जानकारी थी कि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ेंगे और ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होगी। यह जानकारी होने के बावजूद दिल्ली सरकार अपने अधीन आने वाले 38 अस्पतालों में से पांच अस्पतालों को ही कोविड-19 अस्पताल घोषित किया लेकिन कोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार ने राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी और एलएनजेपी अस्पताल को ही कोविड-19 अस्पताल बनाया है। दिल्ली सरकार ने यह भी दावा किया था कि अस्पताल में 8000 बेड, होटल में 12000 बेड और 10000 बेड के साथ चिकित्सा सुविधा युक्त बैंक्विट हॉल में मरीजों को शिफ्ट किया जाएगा लेकिन केजरीवाल सरकार के सभी दावे खोखले निकले। अगर मोहल्ला क्लीनिक की व्यवस्था सही होती तो आज मोहल्ला क्लीनिक टेस्टिंग सेंटर के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते थे। केजरीवाल सरकार द्वारा अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जानकारी के लिए जारी किए गए ऐप भी सही जानकारी देने में फेल है और लोगों को भ्रमित कर रहा है। क्या यह समय दिल्लीवालों को भ्रमित कर सिर्फ राजनीति करने का है? ऐसा करके केजरीवाल सरकार लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। पूर्व में भी कई बार दिल्ली सरकार द्वारा ऐसे ऐप लांच किए गए जो किसी को भी सही जानकारी देने के काम नहीं आए। केजरीवाल ने कोरोनावायरस के संक्रमण से निपटने के लिए 5-ज् प्लान की घोषणा की, जिसके तहत टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, टीमवर्क और ट्रैकिंग के जरिए संक्रमण को रोकने का भरोसा दिलाया लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी लागू नहीं किया।
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ हुई बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि हमने मुख्यमंत्री केजरीवाल से दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे सामुदायिक और टेस्टिंग के सेंटरों की लिस्ट मांगी थी जो आज तक नहीं दी गई। टीम वर्क के नाम पर मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा खानापूर्ति करने के लिए एक बैठक की गई जो बस दिखावे के लिए था। जब दिल्ली में 100 से कम मामले थे तभी अगर ट्रैकिंग और ट्रेसिंग की गई होती तो आज हालात कुछ और होते। आंकड़ों में तबलीगी जमात के लिए बने कॉलम को स्पेशल ग्रुप में बदल दिया गया फिर उसे सभी आंकड़ों के साथ मिला दिया गया और कोविड-19 मरीजों के आंकड़ों में भी हेरफेर की गई। 2 दिन तक लगातार समान टेस्टिंग के आंकड़ों को सामने रखते हुए बताया कि केजरीवाल सरकार ने टेस्टिंग को लेकर भी लगातार झूठ बोले। यहां आंकड़े तभी समान हो सकते हैं जब या तो कोई टेस्टिंग नहीं की गई या फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। दिल्ली के अस्पतालों की बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुधारने की जगह सिर्फ विज्ञापन ही दिए जा रहे हैं। दिल्ली में कई अस्पताल है जो प्रतिदिन दो हजार से ज्यादा मरीजों को देखते हैं लेकिन उनके पास लगभग 70 वेंटिलेटर ही उपलब्ध हैं। अस्पतालों की व्यवस्था सुदृढ़ करने के बजाय दिल्ली सरकार उन अस्पतालों को धमका रही है जो निरंतर दिल्ली के लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं। इलाज या टेस्टिंग प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने पर डॉक्टर, लैब या मेडिकल संस्थानों के ऊपर किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने का अधिकार आईसीएमआर को है, न कि अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढा या सत्येंद्र जैन का जिन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ भी नहीं किया। अपनी कमियों को छुपाने के लिए केजरीवाल सरकार दूसरों के ऊपर दोष मढ़ने में माहिर है।