राजनीति और राजनीतिक संस्थान का अविश्वसनीय होना चिंताजनक-नरेंद्र सिंह
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पटना। बिहार के पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कही मन की बात। पिछले चार दशक से संपूर्ण राजनीति और राजनीतिक संस्थान एक विकट त्रासदी झेल रहा हैlराजनीतिज्ञों पर से जनता का विश्वास समाप्त हो गया है। अविश्वसनीयता के पात्र बन गए हैं हम सबl हमें याद है कि सन 1970 का साल जब कोई नेता गांव और गरीबों के बीच जाता था तो नेताजी को बड़ी श्रद्धा के साथ जनता सम्मान करती थीlपरन्तु आज वही गांव और गरीब के बीच जाने पर लोग समझ रहे हैं कि नेताजी हमें लूटने आए हैं, मूर्ख बनाएंगे, अपना मतलब साधने आए हैं और चले जाएंगेl
जिसे जनहित का नेता माना जाता था वाह आज स्वार्थी और मतलबी दिखने लगा हैlजिसे सुनने और समझने के लिए श्वेता हजारों लाखों की संख्या में जनता आती थी आज उसे अपनी बात सभाओं में सुनाने के लिए लोगों को गाड़ियों से इकट्ठा करना पड़ रहा हैl जन सभाओं में भीड़ इकट्ठा करने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ रहा हैl घटते जन विश्वास के कारण राजनीतिज्ञों ने सामाजिक विषमता की खाई को बांटने के बजाय जाति का जाल फैलाया हैl नीति सिद्धांतों की महत्ता समाप्त हो गई है राजनीति की के मानक सिद्धांत बदल गए हैं।
पहले पार्टी के नेता होते थे अब नेताओं की पार्टी हो गई हैl रात दिन देश के लोकतंत्र की दुहाई देने वाले राजनीतिज्ञों के दलों के भीतर का लोकतंत्र मर गया हैl राजतंत्र प्रथा की भांति राजनीतिक संस्थाओं का संचालन किया जा रहा हैl राष्ट्रभक्ति राष्ट्र के प्रति समर्पण राजनीतिक साथियों के प्रति ईमानदारी के बजाय परिवार सर्वोपरि हो गया हैl नेताओं का कहना है कि हमारी पार्टी है हम जिसे चाहे जहां चाहे वहां बिठाएl
कोई कुछ बोल नहीं सकता हैl यह विचार नेताओं के मन को ना सिर्फ कुंठित किया है बल्कि तानाशाह भी बना दिया हैl इसलिए राजनीतिज्ञों और राजनीतिक संस्थाओं का स्वरूप विकृत हो गया है l यानी चार दशक पहले राजनीतिक संस्थान कार्यकर्ता प्रमुख होता था अब परिवार प्रमुख हो गया हैl राजनीति का स्तर और राजनीतिज्ञों का कर्ज यदि हम मापे तो आप सहज ढंग से समझेंगे की भारतीय राजनीति और संविधान में यह माना गया था कि सर्वोच्च पद पर बैठने वाले व्यक्तियों का चरित्र इतना स्वच्छ और गरिमा युक्त होगा कि उसके विरुद्ध कभी कोई मुकदमा करने की नौबत नहीं आएगीl
इसलिए संविधान में व्यवस्था की गई थी कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल मुख्यमंत्री पद पर आसीन लोगों पर किसी तरह का मुकदमा दर्ज नहीं होगाl यह दर्शाता था कि इस पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति कितने महान और मर्यादित होंगे।आज यह भी समाप्त हो गया l भ्रष्टाचार और दूसरे संज्ञेय अपराध जैसे घटनाओं में कई नेता जेल गएl
कहां खड़ा है देश और कहां खड़ी है राजनीति यह आपके और मेरे सामने विचारणीय विषय हैl क्या आज हम एक बार फिर से इस त्रासदी से त्राण पाने के लिए एकजुट हो सकते हैंl अगर हो सकते हैं तो आइए हम दुष्यंत की निम्न पंक्तियों से एक हिम्मत तो जुटाए
“कैसे आकाश में सुराख हो नहीं सकता यारों
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो”l