कोरोना कैद में भगवान, ऑनलाइन देंगे दर्शन

जन्माष्टमी-12 अगस्त

बाल मुकुन्द ओझा

भगवान् श्रीकृष्ण एक बार फिर कैद में दिखाई देंगे। इस बार यह कैद कोरोना महामारी की होंगी। देश में कोरोना काल के बीच जन्माष्टमी मनाई जाएगी। जन्माष्टमी पर हमेशा की तरह आयोजन होगे। झांकिया भी होंगी मगर दर्शन ऑनलाइन ही हो पाएंगे। कोरोना काल के बीच इस बार लोगों ने घर पर ही जन्माष्टमी का पर्व मनाने का मन बनाया है। देश में 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस बार मनाये जा रहे कृष्ण जन्मोत्सव कार्यक्रम पर कोरोना वायरस का असर साफ दिखाई दे रहा है। भक्त इस बार दर्शन नहीं कर पाएंगे, उनके लिए टीवी चैनलों और प्रसारण के अन्य माध्यमों से भगवान के दर्शन कराए जाएंगे। मंदिर परिसर में कोरोना के चलते श्रद्धालुओं का आगमन पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगा। कोरोना महामारी के बीच कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां भी जोरों पर हैं। हर साल की तरह इस बार भी जन्माष्टमी पर बाजार सज कर तैयार है लेकिन कोरोना का असर कान्हा की मूर्तियों पर भी दिखाई देने लगा है। इस बार महामारी के चलते रौनक नहीं दिखाई देगी। बाल गोपाल की मूर्तियां कहीं पीपीई किट और कोरोना कैप पहने हुईं हैं तो कहीं मास्क, सर्जिकल कैप और फेस शील्ड के साथ कान्हा पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं। बाल गोपाल सन्देश दे रहे है कोरोना से रक्षा का। कोरोना महामारी ने भक्तों का अपने भगवान से मिलन मुश्किल कर दिया है।
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 12 अगस्त 2020 को मनाई जाएगी। यह त्योहार श्री कृष्ण के मानव कल्याण के लिए किये गये कार्यों और आदर्शों को समर्पित है। भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्मदिन देश विदेश में पारम्परिक हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। यह जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की 5247वीं जयंती है। पुराणों के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अवतार लिया था। इस कारण इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा। इस त्योहार को भारत में हीं नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में पूरी आस्था, श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं। बताया जाता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में अत्याचारी मामा कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर बढ़ते अन्याय और अत्याचार के खात्में और पापियों के संहार के लिए श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। हजारों वर्षों के बाद आज भी हमारी पावन पवित्र धरा अन्याय और अत्याचार से मुक्त नहीं हुई है। हम ऐसे वातावरण में जन्माष्टमी मनाने जा रहे है जब समाज विषाक्त हो रहा है और जहरीला नाग हमें डसने को बेताब है। भाई भाई का दुश्मन हो रहा है तथा घृणा और नफरत के बीज बोकर हमें बाँटने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में श्रीकृष्ण की सीख और आदर्श आज ज्यादा प्रासंगिक हो रहे है। उन्होंने अन्यायियों के सामने न तो खुद घुटने टेके और न दूसरों को टेकने दिए। समाज में एकता, बराबरी, प्रेम महोब्बत और भाईचारे की भावना स्थापित करने में श्रीकृष्ण की अहम् भूमिका को आज भी सम्पूर्ण संसार स्वीकार करता है। उनकी शिक्षा का यह महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा कारक है कि समाज को दुष्ट और राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों से मुक्त किया जाये। यदि हमारा एक अंग विकृत हो गया है तो उसे उखाड़ फेंकने में देरी नहीं की जाये। हमारा भाई यदि सदमार्ग से विचलित हो गया है तो पहले समझाइस करों न माने तो बुराई का अंत करो, मगर अन्याय को सहन नहीं करो।
आज न जाने कितनी द्रौपदियों की लाज खतरे में पड़ी है। आताताई किसी भी तरह अपने कुकर्मों से बाज नहीं आरहे है। कानून व्यवस्था की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही है। देश की अमूल्य सम्पदा को लूटकर लुटेरे सात समंदर पार होरहे है। विदेशी आक्रमणकारी चोरी और सीनाजोरी पर उतर आये है। हमारे धैर्य की परीक्षा ली जारही है। अहिंसा और शांति के सन्देश को ठुकराया जा रहा है। गीता में श्रीकृष्ण ने यही संदेश दिया था कि अत्याचारी और अन्यायी कितना ही बड़ा और सगा क्यों न हो उसे समाप्त करने में ही समाज और राष्ट्र की भलाई है। श्रीकृष्ण के इन आदर्शों को आत्मसात कर हमें समाज और देश से अन्याय और अत्याचार को समाप्त करने का संकल्प लेना ही होगा तभी बराबरी और सामाजिक सद्भावना का सन्देश जन जन में प्रवाहित होगा।
भगवान श्री कृष्ण ने मानव जाति को सुखमय और आनंदपूर्ण जीवन का सन्देश दिया था। कृष्ण भारतीय जीवन का आदर्श हैं और उनकी भक्ति मानव को उसके जीवन की पूर्णता की ओर ले जाती है। भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र मानव को धर्म, प्रेम, करुणा, ज्ञान, त्याग, साहस व कर्तव्य के प्रति प्रेरित करता है। उनकी भक्ति मानव को जीवन की पूर्णता की ओर ले जाती है। धर्म, सत्य व न्याय के पक्ष को स्थापित करने के लिए ही कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ दिया। भगवान श्रीकृष्ण का जीवन मनुष्य जाति के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।