जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के एक साल पूरे
विकास से दिलों की दूरी पाटने की मुहिम
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जम्मू कश्मीर जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के एक साल पूरे हो गए हैं। एक बड़े बदलाव के बाद सरकार तेजी से विकास के मोर्चे पर फोकस करके लोगों का दिल जीतने में जुटी है। रोजगार के लिहाज से उद्योग लगाने के लिए छह हजार एकड़ सरकारी भूमि चिन्हित की गई है। करीब 13600 करोड़ रुपए के 168 एमओयू दस्तखत किए गए हैं। बीते एक साल में सात केंद्र प्रायोजित योजनाओं में शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा करने का दावा जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा किया गया है। आकांछी जिलों में शामिल कुपवाड़ा में सोशल सेक्टर की योजनाओं में त्वरित कारीबक जरिये जिले के कई गांवों को मॉडल बनाने की कोशिश की गई है।
विकास है फिजा बदलने का मूलमंत्र
अधिकारियों का कहना है कि पंचायतों के जरिए बड़े पैमाने पर काम हो रहे हैं। केंद्र की ओर से स्पष्ट संकेत स्थानीय प्रशासन को है कि लोगों की शिकायतों को दूर करने और मुख्यधारा से जोड़ने का एकमात्र जरिया विकास है। गृहमंत्री अमित शाह ने बीते एक साल में स्थानीय लोगों से सतत संपर्क में विकास को ही फिजा बदलने का मूलमंत्र बताया है। स्थानीय लोगों में अनुच्छेद 370 को लेकर अलग-अलग राय के बीच प्रशासन की एक बड़ी चुनौती रोजगार मुहैया कराना है।
बड़ी संख्या में नए संस्थानों का रास्ता खुला
बीते एक साल की उपलब्धियों का दावा करते हुए कहा गया है कि 50 नए डिग्री कॉलेज शुरू किए गए हैं और 25 हजार नई सीट कॉलेज में जुड़ी हैं। हालांकि कोविड की वजह से संस्थान बंद चल रहे हैं। सात नए मेडिकल कॉलेज जम्मू-कश्मीर में शुरू हुए हैं।
कुपवाड़ा बन रहा ऑर्गेनिक हब
सेब के लिए विशिष्ट बाजार मुहैया कराया गया है। कुपवाड़ा ऑर्गेनिक खेती का हब बन रहा है। हुनर के नए केंद्र से महिलाओं को आसपास काम मिल रहा है।
कई क्षेत्रों में काम
पांच साल से अटका श्रीनगर का रामबाग फ्लाईओवर खोल दिया गया है। जम्मू रिंग रोड एक साल के दौरान 25 फीसदी बन गई है। जम्मू, श्रीनगर मेट्रो के लिए 10 हजार 599 करोड़ रुपए का डीपीआर बन गया है। जम्मू कश्मीर पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त हो गया है।
फायदा नजर आएगा
शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि स्पष्ट संदेश है कि विकास के क्षेत्र में जो गैप था वह भरा जा रहा है। दिलों की दूरियां भी अगर कहीं हैं तो आने वाले दिन में मिट जाएंगी। बहुत से लोगों ने बदलाव स्वीकार किया है। बाकी लोगों को भी आने वाले दिनों में फायदा नजर आएगा।
‘बैक टू विलेज’ से गांवों तक पहुंचने की मुहिम
लोगों से जुड़ने के लिए ‘बैक टू विलेज’ प्रोग्राम काफी सफल साबित हुआ है। इसके तहत गजेटेड (राजपत्रित) अफसर दो दिन और रात्रि गांवों में गुजार कर गांव वालों का फीडबैक लेते हैं।