गहलोत सरकार की स्थिरता पर लाखों की सट्टेबाजी

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राजस्थान का सियासी संग्राम अजब – गजब, रहष्य और रोमांच से भरपूर होने से अब लोग चटखारे के साथ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे है। शहरी क्षेत्रों में चाय पान की दुकानों और सरकारी दफ्तरों में तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गांव की चौपालों पर हर रोज लोग सरकार की स्थिरता को लेकर चर्चा में मशगूल हो रहे है। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी विकास का काम छोड़कर सियासी चर्चाओं में अपना समय ज्यादा व्यतीत कर रहे है।
सटोरियों ने भी गहलोत सरकार को लेकर सट्टे शुरू कर दिए है। शेखावाटी क्षेत्र में क्रिकेट का सट्टा बंद होने के बाद सत्ता का सट्टा शुरू हो गया है और इस पर लाखों का दांव लग चुका है। बाबू देवकीनंदन खत्री के उपन्यास चंद्रकांता संतति की भांति थ्रीलर घटनाओं से ओतप्रोत नए नए दांव खेले जा रहे है। खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पायलट खेमे और भाजपा पर आरोपों की झड़ी लगाए हुए है। ऐसे ऐसे आरोप और बयान दिए जा रहे है जिन्हें सियासी लोग बड़े कोतुहल से देख और सुन रहे है। लोग यह कहने से भी नहीं चूक रहे है की सरकार होने के बावजूद गहलोत अपने विधायकों को लिए मारे मारे घूम रहे है। दोनों खेमों से एक दूसरे के विधायकों से संपर्क के दावे किये जा रहे है। इनमें सबसे बड़ा दावा कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला का था जिसमें 72 घंटे में पायलट खेमे के तीन विधायकों के वापस आने की बात कही गयी थी। यह दावा भी फुस्स होकर रह गया।
इस सारे घटनाक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गांधीवादी छवि धूमिल हुई है। सचिन पायलट की बगावत के बाद गहलोत के बयानों का गहराई से अध्ययन करें तो पायेंगे की उन्होंने अनेक ऐसे बयान दिए है जो उनकी गांधीवादी छवि के सर्वथा प्रतिकूल है। ये बयान उन्होंने सोच समझकर दिए या बौखलाहट में दिए ये तो वे ही बता पाएंगे मगर इससे उनका कोई भला नहीं हुआ।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि राजस्थान के बागी कांग्रेस विधायकों को वापसी के लिए बातचीत से पहले भाजपा से दोस्ती तोड़नी होगी तथा उसकी मेजबानी छोड़कर घर लौटना होगा। वही गहलोत ने कहा है कांग्रेस आलाकमान बागियों को माफी देगी तो वे भी गले लगाने को तैयार है। एक बागी विधायक का कहना है गहलोत कुर्सी छोड़ दे तो आज ही सुलह हो जाएगी अन्यथा बकरी की मां कब तक खैर मनाएगी।
इस दौरान गहलोत ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर भी अनेक आरोप लगाए। प्रदेश के राज्यपाल को भी नहीं बक्शा। खुल्लमखुला आरोप लगाए गए। उन्होंने कभी सोनिया गाँधी और राहुल के नजदीकी रहे पायलट को निक्कमा, नकारा और धोखेबाज तक करार दिया। हालाँकि पायलट ने अपनी प्रतिक्रिया सयंमित होकर दी और गहलोत पर कोई पलटवार नहीं किया। गहलोत द्वारा राजभवन के घेराव और सुरक्षा को लेकर दिए गए बयान की भी खूब आलोचना हुई। एक सरकार का मुखिया अपने ही संवैधानिक मुखिया की सुरक्षा पर ऐसा बयान देता है तो उनकी छवि निश्चय ही खंडित होगी ही। सियासत में आरोप प्रत्यारोप कोई नयी बात नहीं है। उनके गृह जिले जोधपुर से चुने गए गजेंद्र सिंह शेखावत इस समय मोदी सरकार में काबीना मंत्री के अहम् पद पर नियुक्त है। शेखावत ने पिछले लोकसभा चुनाव में गहलोत के बेटे वैभव को लाखों वोटों से हराया था।
विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंकाओं को देखते हुए राजस्थान सरकार अब जैसलमेर में आईसोलेट हो गई है। सरकार का करीब 14 दिन के लिए अब नया बाड़ा जैसलमेर का होटल सूर्यागढ़ है। होटल सूर्यागढ़ को नया बड़ा बनाने के कई बड़े कारण है। साथ ही होटल फेयरमाउंट को खाली करना भी कांग्रेस के लिए जरूरी हो गया था। एक और तो विधायक बोरियत महसूस करने लगे थे और दूसरी ओर कई ऐसे कारण थे, जिनके वजह से अशोक गहलोत सोच रहे थे कि इन विधायकों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए। गहलोत ने कहा है कि हमारे विधायक जो कई दिनों से जयपुर ठहरे हुए थे। उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा था। बाहरी दबाव को दूर रखने के लिए हमने उन्हें स्थानांतरित करने के बारे में सोचा। आजाद भारत के इतिहास में संभवत यह पहला मौका है जब एक बहुमत वाली सरकार अपने विधायकों की सुरक्षा के लिए एक पांच सितारा होटल में शरण ले रखी है। राजस्थान सरकार एक पखवाड़े से भी अधिक समय से बाड़ेबंदी में है और पांच सितारा होटलों से सरकार चलायी जा रही है जिन पर करोड़ों रूपये स्वाहा हो रहे है, यह तथ्य ही उनकी गांधीवादी छवि को धूमिल करने के लिए प्रयाप्त है। गहलोत किसी साधारण धर्मशाला में अपने विधायकों को रखते तो उनकी छवि सुधरती।