धूमिल हुई गहलोत की गांधीवादी छवि

बाल मुकुन्द ओझा

राजस्थान के सियासी संग्राम में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गांधीवादी छवि धूमिल हुई है। कोई माने या न माने मगर सच्चाई को स्वीकार करना ही पड़ेगा। सचिन पायलट की बगावत के बाद गहलोत के बयानों का गहराई से अध्ययन करें तो पायेंगे की उन्होंने अनेक ऐसे बयान दिए है जो उनकी गांधीवादी छवि के सर्वथा प्रतिकूल है। ये बयान उन्होंने सोच समझकर दिए या बौखलाहट में दिए ये तो वे ही बता पाएंगे मगर इससे उनका कोई भला नहीं हुआ।
इस दौरान गहलोत ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर भी अनेक आरोप लगाए। प्रदेश के राज्यपाल को भी नहीं बक्शा। खुल्लमखुला आरोप लगाए गए। उन्होंने कभी सोनिया गाँधी और राहुल के नजदीकी रहे पायलट को निक्कमा, नकारा और धोखेबाज तक करार दिया। हालाँकि पायलट ने अपनी प्रतिक्रिया सयंमित होकर दी और गहलोत पर कोई पलटवार नहीं किया। गहलोत द्वारा राजभवन के घेराव और सुरक्षा को लेकर दिए गए बयान की भी खूब आलोचना हुई। एक सरकार का मुखिया अपने ही संवैधानिक मुखिया की सुरक्षा पर ऐसा बयान देता है तो उनकी छवि निश्चय ही खंडित होगी ही। सियासत में आरोप प्रत्यारोप कोई नयी बात नहीं है। उनके गृह जिले जोधपुर से चुने गए गजेंद्र सिंह शेखावत इस समय मोदी सरकार में काबीना मंत्री के अहम् पद पर नियुक्त है। शेखावत ने पिछले लोकसभा चुनाव में गहलोत के बेटे वैभव को लाखों वोटों से हराया था। गहलोत ने शेखावत को भ्रष्ट बताने में कोई चूक नहीं की। इस सियासी मारधाड़ और सस्पेंस में गहलोत को भी अनेक आरोपों का सामना करना पड़ा। उनके बयान तो चर्चित थे ही मगर उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। भाई भतीजों पर छापे भी पड़े। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने गहलोत पर बेटी और दामाद पर करोड़ों रूपये का अवैध फायदा पहुँचाने का आरोप जड़ दिया। सोशल मीडिया पर गहलोत पर भ्रष्टाचरण के आरोपों से एक नयी बहस छिड़ गयी। कुछ लोग उन्हें दूध का धुला बताने में गुरेज नहीं कर रहे है तो कुछ कह रहे है हमाम में सब नंगे है। मगर अधिकतर का मानना है इससे गहलोत की सौम्य और गांधीवादी छवि खंडित हुई है।
विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंकाओं को देखते हुए राजस्थान सरकार अब जैसलमेर में आईसोलेट हो गई है। सरकार का करीब 14 दिन के लिए अब नया बाड़ा जैसलमेर का होटल सूर्यागढ़ है। होटल सूर्यागढ़ को नया बड़ा बनाने के कई बड़े कारण है। साथ ही होटल फेयरमाउंट को खाली करना भी कांग्रेस के लिए जरूरी हो गया था। एक और तो विधायक बोरियत महसूस करने लगे थे और दूसरी ओर कई ऐसे कारण थे, जिनके वजह से अशोक गहलोत सोच रहे थे कि इन विधायकों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए। गहलोत ने कहा है कि हमारे विधायक जो कई दिनों से जयपुर ठहरे हुए थे। उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा था। बाहरी दबाव को दूर रखने के लिए हमने उन्हें स्थानांतरित करने के बारे में सोचा। आजाद भारत के इतिहास में संभवत यह पहला मौका है जब एक बहुमत वाली सरकार अपने विधायकों की सुरक्षा के लिए एक पांच सितारा होटल में शरण ले रखी है। राजस्थान सरकार एक पखवाड़े से भी अधिक समय से बाड़ेबंदी में है और पांच सितारा होटलों से सरकार चलायी जा रही है जिन पर करोड़ों रूपये स्वाहा हो रहे है, यह तथ्य ही उनकी गांधीवादी छवि को धूमिल करने के लिए प्रयाप्त है। गहलोत किसी साधारण धर्मशाला में अपने विधायकों को रखते तो उनकी छवि सुधरती।