कांग्रेसी रार ने विकास को पीछे छोड़ा

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राजस्थान में सत्ता का संग्राम विकराल होता जा रहा है। यहाँ कांग्रेसी रार ने विकास को पीछे छोड़ दिया है। कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ देशभर के राजभवनों पर धरना, प्रदर्शन और घेराव का एलान कर दिया है वहीँ राजस्थान की सरकार पांच सितारा क्वरेन्टीन में है। बाड़ाबंदी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। विधानसभा का सत्र बुलाने की कवायद तेज हो गयी है। राज्यपाल और सरकार अपने अपने नियम कायदों पर अड़े है। प्रदेश में जनता विकास की बाट जोह रही है। समस्याओं का अम्बार लग गया है। कोरोना का कहर बढ़ गया है। कांग्रेस के धरना प्रदर्शन ने सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जिया उड़ा दी है। जनता को न्याय देने वाले खुद न्याय मांग रहे है। प्रदेश का सचिवालय सुना पड़ा है। सीटों पर न कार्मिक मिलते है और न जरूरतमंद को प्रवेश दिया जा रहा है। ऐसा लगता है समूची शासन व्यवस्था को लकवा मार गया है।
प्रदेशभर की सड़कें टूटी पड़ी है। सफाई व्यवस्था चौपट पड़ी है। नालों की सफाई न होने से सीवरेज गड़बड़ाया हुआ है। मामूली बारिश में सड़कों पर पानी एकत्रित हो जाता है। बड़े बड़े जानलेवा गढ़े और खडडे वाहनों की मुसीबत बन गए है। स्कूल कॉलेज बंद पड़े है। छोटे बच्चों को मोबाइल थमा दिया गया है। ग्रामीण विकास की दिशा निर्धारित नहीं है। कोरोना के साथ मौसमी बीमारियां घर घर में फैली हुई है। परिवहन शुरू होते ही दुर्घटना और भ्रष्टाचार की वारदातें बढ़ने लगी है। बजट में किये गए वादें सत्ता संग्राम में भुला दिए गए है। जन जीवन ठप्प पड़ा है। जनता की समस्या के निराकरण की कोई कारगर व्यवस्था नहीं है। विधायक क्वारंटीन है। समाधान कौन करे।
जिलों में प्रशासन सत्ता संग्राम में पंगु हो रहा है। राशन की दुकाने लोगों का राशन हजम करने में लगी है। सरकारी राहत जरूरतमंद तक नहीं पहुंच रही है। गांवों में राजस्व विभाग की समस्याएं नहीं निपटने से किसान परेशान है। समाज कल्याण की योजनाओं की लोग बाट जोह रहे है। आंगनबाड़ी में बच्चे नहीं आ रहे है। राजधानी जयपुर ज्वलंत समस्याओं से जूझ रही है। आवारा पशु खुले आम घुमते दिखाई दे रहे है। न्यायलय द्वारा शहरी क्षेत्रों से डेयरी शिफ्ट करने के आदेश कागजों में शोभा बढ़ा रहे है। मॉनिटरिंग के आभाव में सफाई का माकूल इंतजाम न होने से राजधानी सड़ रही है। कहीं हूपर पहुँच रहे है और कहीं गोते लगा रहे है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। बिजली बिलों ने उपभोक्ताओं की नींद उड़ाकर रख दी है। मनमाने ढंग से कर लगाए जा रहे है। जनता कोरोना काल के बिलों को माफ करने की मांग कर रही है। कोई देखने और बोलने वाला नहीं है।
सरकारी दफ्तर पिछले चार महीनों से ठप्प पडे है। जन समस्याओं का अम्बार लग गया है। लोगों के दुःख और परेशानियों को समयबद्ध दूर करने का कोई रोड मेप नहीं है। जनसमस्या निवारण शिविरों का कोई अता पत्ता नहीं है। ऐसे माहौल में जब सरकार होटल में है जनता न्याय मांगने किसके पास जाये।