एम्स में पिछले 41 दिनों में हुई 4 आत्महत्याएं
लगाम लगाने के लिए टेली-काउंसलिंग सेवा शुरू !
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नयी दिल्ली। राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रामा सेंटर के शौचालय में गुरुवार को 32 वर्षीय एक व्यक्ति ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति मध्य प्रदेश के सतना का निवासी राज अमनी पटेल था और जुलाई 2019 में इस व्यक्ति के आंतों की सर्जरी हुई थी।
मिली जानकारी के मुताबिक राज अमनी पटेल इलाज के लिए 15 जुलाई को एम्स के ट्रामा सेंटर आया था और उसे पूर्वाह्न साढ़े दस बजे के आसपास भर्ती किया गया था। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि बाद में मरीज भर्ती के स्थान से लापता हो गया। ठाकुर ने कहा कि पटेल एम्स के ट्रामा सेंटर के शौचालय में लटका हुआ पाया गया। जिसके बाद पटेल को आपातकालीन विभाग में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभी तक कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है और मामले की जांच की जा रही है। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पिछले 41 दिनों में एम्स में आत्महत्या की 4 घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में एम्स के एक 25 वर्षीय जूनियर रेजीडेंट डॉक्टर द्वारा छात्रावास की दसवीं मंजिल से छलांग लगाने का मामला भी शामिल है।
मृतक डॉक्टर की पहचान अनुराग कुमार के तौर पर हुई है और वह मनोविज्ञान विभाग में जूनियर डॉक्टर थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जूनियर डॉक्टर अनुराग का पिछले कुछ समय से अवसाद का इलाज कर रहा था। जिसके बाद यह कहा गया कि अवसाद से ग्रसित होने के बाद जूनियर डॉक्टर में सुसाइड किया है।
इस घटना को लेकर जब एम्स प्रशासन से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किए गए हैं और सीसीटीवी की निगरानी भी बढ़ाई गई है। एम्स में फारेंसिक विज्ञान के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि पुरानी या गंभीर बीमारी के लिए अस्पताल में भर्ती होना चिंता का कारण माना जाता है। ऐसे में कोरोना संकट ने इसे और भी ज्यादा बदतर बना दिया है। स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित हर व्यक्ति बहुत चितिंत और तनाव में हैं। ऐसे में यह तमाम चीजें इस तरह की घटनाओं को लीड कर सकती हैं।
बता दें कि डॉ. गुप्ता का विभाग अब कोरोना काल में हो रहे आत्महत्या के मामलों के पीछे के कारणों को पता लगाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए बकायदा एक योजना बनाई जा रही है। क्योंकि एम्स के अलावा देशभर के अस्पतालों में मरीजों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों में वृद्धि देखी गई है।