दो दो हाथ करने को आतुर हैं विधायक

बाल मुकुन्द ओझा

राजस्थान में कांग्रेस की रार थमने का नाम नहीं ले रही है। गहलोत और पायलट खेमा दो दो हाथ करने को आतुर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सचिन पायलट पर पैसे के लेनदेन का खुलमखुला आरोप लगाने से आग और भड़क गयी है जो पानी डालने पर भी बुझने का नाम नहीं ले रही है। स्पीकर के दल बदल का नोटिस जारी होने के बाद मामला हाई कोर्ट में पहुँच गया है। स्पीकर के नोटिस के बाद सियासत गरमा गई थी। याचिका ऑन लाइन दाखिल की गई है। गहलोत खेमे के विधायक विधायक पी आर मीणा ने याचिका दाखिल की मगर बहस के दौरान याचिका में संशोधन की बात कही गई। इस पर आज कोई कार्यवाही नहीं हुई। यह मामला अब कानूनी दांव पेंच में उलझ गया है।
सचिन पायलट अभी तक सामने नहीं आये है। उन पर भाजपा के हाथ में खेलने का आरोप लगाया गया है। जबकि पायलट ने भाजपा में जाने के लिए साफ इंकार किया है। पायलट खेमे के विधायकों ने भी अब पलटवार करना शुरू कर दिया है। इस खेमे के विधायकों ने गहलोत पर गलत बयानी का आरोप लगाया है। स्थिति बेहद दिलचस्प बनी हुई है। दोनों गुट झुकने को तैयार नहीं है। दंगल सज् गया है और पहलवानों ने वर्जिस शुरू करदी है। गहलोत खेमे के एक मंत्री प्रताप सिंह जो पहले पायलट खेमे के साथ थे अब खुलकर मुखर होकर सरकार का जोरदार समर्थन कर रहे है। उन्होंने 109 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। भाजपा अभी वेट एंड वाच की स्थिति में है।
राजस्थान में पिछले एक सप्ताह से चल रहा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस की बाड़ेबंदी जारी रही।
मुख्यमंत्री गहलोत ने सचिन और उनके साथ के विधायकों पर पैसे के लेन देन का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया हमारे यहाँ उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष खुद ही पैसे की डील कर रहे है। उन्होंने कहा केंद्र सरकार मीडिया को फाइनेंस कर रही है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है जिसे समझने की जरूरत है। कांग्रेस के नेता इस सम्पूर्ण खेल के पीछे भाजपा का हाथ बता रही है। मगर सचिन ने साफ तौर पर भाजपा में जाने से इंकार कर दिया है। सचिन स्याने और समझदार नेता है किन्तु उनकी हालत जल बिन मछली सी हो रही है। भाजपा कह रही है गहलोत ने समय समय पर मदेरणा, नवल किशोर जैसे वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगते देर नहीं की। अब बारी सचिन की है जिसने गहलोत के नेतृत्व को चुनौती दी है।
सचिन ने बगावत के बाद अब तक पत्ते नहीं खोले है। वे प्रेस के सामने भी अभी तक नहीं आये है। यह भी कहा जा रहा है पद से हटाए जाने के बाद भी उनका राहुल और प्रियंका से संपर्क बना हुआ है। वे अभी भी कांग्रेस के विधायक है। कांग्रेस कह रही है सचिन के लिए अभी उनके दरवाजे बंद नहीं हुए है। सचिन के पत्ते नहीं खोलने से मामला उलझता ही जा रहा है। अपने समर्थक 19 विधायकों के साथ वह दिल्ली -हरियाणा में हैं। बर्खास्त किए जाने के बाद उनके पास विकल्प सीमित हैं। जानकारों का मानना है कि अब भी उनके पास विकल्प खुले हैं, उन्हें पद से हटाया गया है पार्टी से नहीं। कांग्रेस को युवाओं की जरूरत है और अगर सचिन कांग्रेस में रहते हैं तो उन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। उनके समर्थक रहे और अब गहलोत के साथ विधायक दानिश अबरार का मानना है सचिन अभी भी कांग्रेस में है।
राजस्थान विधानसभा में वर्तमान में 200 सदस्य है। इनमें कांग्रेस के पास 107 और भाजपा के पास 72 सदस्य है। 13 निर्दलीय और शेष छोटी पार्टियों के है। कांग्रेस निर्दलीयों के समर्थन का दावा कर रही है। सचिन खेमे के 19 विधायक भाजपा के पास आ जाते है तो गहलोत सरकार खतरे में पड़ जायेगी। शह और मात का खेल खेला जा रहा है।