कानपुर एनकाउंटर में भाजपा को मिला शिवसेना का साथ

राकेश रमण

जहां एक ओर कांग्रेस से लेकर सपा, बसपा व रालोद सहित कई अन्य विपक्षी दलों ने उज्जैन से कानपुर लाए जाने के क्रम में रास्ते में गाड़ी पलट जाने के बाद पुलिस की रिवाॅल्वर छीनकर भागने की कोशिश कर रहे आठ पुलिसवालों के हत्यारे व उत्तर प्रदेश के मोस्ट वांटेड दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की मुठभेड़ में हुई मौत के मामले को तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की सत्ता में कांग्रेस के साथ सहभागिता कर रही शिवसेना ने विपक्ष के इस एकजुट विरोध में अपनी असहमति का फच्चर फंसा दिया है। शिवसेना ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार देकर इसका विरोध कर रहे और मुठभेड़ की मंशा पर सवाल उठाकर पूरे मामले को सियासी रंग देने की कोशिश कर रहे किसी भी दल का सीधे तौर पर नाम लिये बगैर बेलाग लहजे में कहा है कि विरोध ही करना है तो आठ पुलिस वालों की हत्या किये जाने के विरोध में आवाज बुलंद करनी चाहिये लेकिन इस कुकृत्य को अंजाम देनेवाले हत्यारे की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत का हर्गिज विरोध नहीं किया जाना चाहिये। हालांकि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं में शुमार होनेवाले और पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत ने पुलिस एनकाउंटर में विकास की मौत के मामले को तूल दिये जाने का पुरजोर शब्दों में विरोध करने के क्रम में किसी भी दल का नाम नहीं लिया है लेकिन इस पूरे मामले को लेकर हर तरफ से वैचारिक व सैद्धांतिक विरोध का सामना कर रही भाजपा को अनापेक्षित सहयोग अवश्य हासिल हो गया है। हालांकि कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल होने के बाद हाल ही में राज्यसभा के लिये चुनी गई प्रियंका चतुर्वेदी ने विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाते हुए मुठभेड़ की मंशा पर उंगली उठाने की कोशिश करते हुए तंज भरे लहजे में यह अवश्य ट्वीट कर दिया है कि ‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी’। लेकिन इस पूरे मामले को लेकर शिवसेना का औपचारिक बयान राउत द्वारा व्यक्त की गई प्रतिक्रिया को ही माना जा रहा है जिसमें उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाने वालों की कड़ी निंदा करते हुए बेलाग लहजे में एनकाउंटर का समर्थन किया है।

राज्यसभा में शिवसेना के नेता संजय राउत ने बेलाग लहजे में कहा है कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर आंसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है। राउत ने इस बात को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया है कि पुलिस की कार्रवाई पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? राउत ने  स्पष्ट शब्दों में कहा है कि विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी और इस तरह से वर्दीवालों पर हमला किये जाने का मतलब यह प्रमाणित करना है कि प्रदेश में कोई कानून और व्यवस्था नाम की चीज नहीं है। यह स्थिति चाहे महाराष्ट्र की हो या उत्तर प्रदेश की। इस तरह के हालात उत्पन्न होने पर राज्य पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई किया जाना आवश्यक ही है लिहाजा पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में विकास दुबे के मारे जाने पर आंसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है। राउत के मुताबिक यह बात समझ से परे है कि आखिर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? राउत ने स्पष्ट लहजे में कहा है कि यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिये बल्कि जिन गुंडों ने पुलिस की हत्या की उस पर सवाल उठाए जाने की जरूरत है। राउत की मानें तो आठ पुलिसवालों की हत्या को अंजाम दिये जाने के बाद यूपी पुलिस की कार्रवाई पर उंगलियां उठने लगी थीं लिहाजा विकास दुबे का एनकाउंटर लॉ एंड आर्डर के सवाल से जुड़ गया था।