‘कोवेक्सिन’ का मानव पर परीक्षण करने का काम शुरू

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा कि भारत के पूर्वानुमानित, अतिसक्रिय और चरणबद्ध रुख के कारण कोविड-19 के मामलों में स्थिरता और किसी भी समय स्वास्थ्य केंद्रों में काफी संख्या में खाली बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक वर्धन ने स्वीडन की स्वास्थ्य और समाजिक मामलों की मंत्री लेना हालेनग्रेन से डिजिटल वार्ता के दौरान यह टिप्पणी की। इसमें कहा गया कि स्वीडिश मंत्री ने स्वास्थ्य और औषधि के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा के लिये वर्धन से संपर्क किया था। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत द्वारा सीखे गए सबकों का जिक्र करते हुए वर्धन ने कहा, “एक अरब 35 करोड़ की आबादी के बावजूद भारत में महामारी से ठीक होने की दर 61 प्रतिशत से ज्यादा और मृत्युदर 2.78 प्रतिशत से भी कम है।” उन्होंने कहा कि रोजाना 2.5 लाख लोगों की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि चार महीने पहले कोविड-19 की जांच एक प्रयोगशाला से शुरू करने वाले देश में आज इस महामारी की जांच के लिये 1100 से ज्यादा प्रयोगशालाएं हैं। बयान में वर्धन को उद्धृत करते हुए कहा गया, “भारत के अतिसक्रियता, पूर्वानुमानित और चरणबद्ध दृष्टिकोण ने यह सुनिश्चित किया कि मामलों का ग्राफ स्थिर रहे और सरकार द्वारा तैयार त्रिस्तरीय कोविड स्वास्थ्य आधारभूत ढांचे में किसी भी समय पर्याप्त संख्या में पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध रहें।” मंत्री ने कहा कि भारत ने नए कोरोना वायरस को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल किया क्योंकि विभिन्न स्तरों पर ‘संपूर्ण सरकार’ के दृष्टिकोण को अपनाया गया। वर्धन ने कहा कि चीन द्वारा दुनिया को विषाणु के बारे में आगाह किये जाने के एक दिन बाद आठ जनवरी से सरकार ने अपनी विभिन्न शाखाओं से समन्वय किया जिससे समुद्र, जमीन और हवाई मार्ग से देश के प्रवेश बिंदुओं में निगरानी बरती जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने सामुदायिक निगरानी को मजबूत किया, विस्तृत स्वास्थ्य और यात्रा परामर्श जारी किये और हजारों नागरिकों और विदेशियों को सुरक्षित निकाला। वर्धन ने अपनी स्वीडिश समकक्ष को बताया, “भारत में अब पीपीई की 100 से ज्यादा निर्माण इकाइयां हैं जो रोजाना 5 लाख पीपीई किट का निर्माण कर रही हैं और इसी तरह एन-95 मास्क और वेंटिलेटरों का उत्पादन भी बढ़ाया गया है। भारत ने 100 से ज्यादा देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति की।” मंत्रालय ने बयान में कहा कि हालेनग्रेन ने वर्धन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष चुने जाने पर भी बधाई दी और भारत द्वारा जांच क्षमता बढ़ाए जाने पर भी उसकी तारीफ की।

दिल्ली में कोविड-19 के 2,008 नये मरीज
दिल्ली में मंगलवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,008 नये मामले सामने आए। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में कुल कोविड-19 मरीजों की संख्या 1.02 लाख हो गई है जिनमें से 3,165 लोगों की मौत हो चुकी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के मुताबिक, गत 24 घंटे में 50 लोगों की मौत हुई है। उल्लेखनीय है कि 23 जून को दिल्ली में 24 घंटे में सबसे अधिक 3,647 नये मामले सामने आए थे। सोमवार को दिल्ली में मृतका संख्या 3,115 थी। मंगलवार के बुलेटिन के अनुसार, मृतक संख्या 3,165 हो गई और संकमण के कुल मामले बढ़ कर 1,02,831 हो गए।
महाराष्ट्र में 5,134 नये मामले
महाराष्ट्र में मंगलवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के 5,134 नये मामले सामने आए, जिन्हें मिलाकर प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,17,121 हो गई। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, इस अवधि में 224 कोविड-19 मरीजों की मौत हुई है जिन्हें मिलाकर इस महामारी में अबतक जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 9,250 हो गई है। आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, इस अवधि में 3,296 लोगों को संक्रमण मुक्त होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। अबतक प्रदेश में 1,18,558 कोविड-19 मरीज ठीक हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस समय महाराष्ट्र में 89,294 संक्रमित उपचाराधीन हैं।
आईसीएमआर ने प्लाज्मा थैरेपी करने की मंजूरी दी
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को कोरोना वायरस के 200 रोगियों पर प्लाज्मा थैरेपी करने के लिये आईसीएमआर की मंजूरी मिल गई है। पूर्वी दिल्ली में स्थित यह अस्तपाल कोविड-19 केन्द्र घोषित किये जाने के बाद से एक हजार से अधिक रोगियों का इलाज कर चुका है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीन जुलाई को इस अस्पताल से छुट्टी पाने वाले 1000वें कोविड-19 रोगी को सोमवार को सम्मानित किया था। अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, ‘हमें लगभग दस दिन पहले आईसीएमआर की मंजूरी मिल चुकी है। फिलहाल हमें 200 रोगियों पर प्लाज्मा थैरेपी करने की अनुमति है। इसकी शुरुआत करने से पहले हम सभी तरह के प्रबंध कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल हमारे पास कर्मचारियों की कमी है।’ उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित तकनीशियनों की नियुक्ति के लिये अस्पताल ने विज्ञापन दिये हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘प्लाज्मा थैरेपी के लिये बहुत सारी सामग्रियों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत होती है। हम अपनी तैयारियां पुख्ता कर रहे हैं। साथ ही, आवश्यक कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।’ केजरीवाल ने हाल ही में यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) में देश के पहले प्लाज्मा बैंक का उद्घाटन किया था, जिसका संचालन दिल्ली सरकार कर रही है। सूत्रों के अनुसार पहले दिन संस्थान में 10 लोगों ने प्लाज्मा दान किया और दूसरे दिन सात दानकर्ताओं ने अपनी जांच कराई। मुख्यमंत्री, कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हो चुके लोगों से आगे आकर रोगियों के लिये प्लाजमा दान करने की अपील कर रहे हैं।
आगंतुकों की संख्या काफी कम
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित ऐतिहासिक इमारतों को सोमवार को जनता के लिए पुनः खोल दिया गया लेकिन पहले दिन आगंतुकों की संख्या बहुत कम रही। सूत्रों के अनुसार यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित कुतुब मीनार घूमने सबसे ज्यादा सौ लोग आए। एएसआई के अधिकारियों के मुताबिक बारहवीं सदी की इस मीनार को देखने के लिए आमतौर पर हर रोज आठ से दस हजार लोग आते हैं। सूत्रों ने बताया कि अन्य इमारतों में हुमायूं के मकबरे पर 70-80 लोग आए। उन्होंने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पुराना किला देखने 20-22, सफदरजंग मकबरे पर आठ और जंतर मंतर पर लगभग 12 लोग आए। कुतुब मीनार, हुमायूं का मकबरा और दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित अन्य इमारतों को कोविड-19 के संकट के कारण तीन महीने से अधिक समय तक बंद रखने बाद सोमवार को पुनः खोला गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आगंतुकों के लिए मास्क लगाना अनिवार्य है और बिना मास्क के किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। आमतौर पर प्रत्येक सोमवार को बंद रहने वाले लाल किले को बंद रखा गया और मंगलवार को पुनः खोला गया। अधिकारी ने कहा, “इमारतों को पुनः खोले जाने के बाद आगंतुक दो पाली में से किसी एक में टिकट बुक करा सकते हैं। उन्हें या तो सुबह से शुरू होकर मध्याह्न 12 बजे के बीच का टिकट लेना होगा या 12 बजे से शाम छह बजे तक के बीच का टिकट लेना होगा। प्रत्येक पाली में अधिकतम 1500 आगंतुकों को जाने की अनुमति है।” दिल्ली की एएसआई संरक्षित इमारतों को संस्कृति मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर पुनः खोला गया है। अधिकारियों ने कहा कि सामाजिक दूरी और संक्रमण मुक्ति समेत मंत्रालय द्वारा निर्देशित सभी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और नियमों का ध्यान रखा जा रहा है। नियमों के अनुसार प्रवेश के लिए ई-टिकट ही जारी किए जा रहे हैं और इमारतों के परिसर के अंदर खाना पीना या सामूहिक फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
हरियाणा में तीन और लोगों की मौ
हरियाणा में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण से तीन और लोगों की मौत हो गई, वहीं संक्रमण के 495 नए मामले सामने आने से कोविड-19 के मामले बढ़कर 17,999 हो गए। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के मुताबिक, संक्रमण से भिवानी, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम में एक-एक मरीज की मौत हुई। राज्य में अब तक कोविड-19 से कुल 279 मरीजों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को सामने आए नए मामलों में से, कोविड-19 से सर्वाधिक प्रभावित गुरुग्राम में 125 मामले, फरीदाबाद में 122, भिवानी में 45, सोनीपत में 29, झज्जर में 28, महेंद्रगढ़ में 25, पानीपत और कुरुक्षेत्र में 21-21 जबकि जींद जिले में 14 मामले सामने आए। बुलेटिन में कहा गया है कि फिलहाल राज्य में 4,075 मरीजों का उपचार चल रहा है और 13,645 लोगों को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। मंगलवार को मरीजों की ठीक होने की दर 75.81 फीसदी रही।
कोलकाता में लग सकता है फिर लॉकडाउन
ऊंची ऊची इमारतों और पक्के मकानों में रहने वाले पढ़े-लिखे लोगों की लापरवाही से कोलकाता में हाल ही कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़े हैं, फलस्वरूप पश्चिम बंगाल सरकार कुछ हिस्सों में फिर लॉकडाउन लगाने के विकल्प पर गौर करने के लिए बाध्य हो रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कोलकाता नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले दो सप्ताह में इस महानगर में कोरेाना वायरस से जितने लोग संक्रमित पाये गये हैं उनमें 85 फीसदी ऐसे हैं जो पढ़े-लिखे हैं और हाउसिंग कॉम्प्लेक्स, अपार्टमेंट या पक्के मकानों में रहते हैं जबकि 15 फीसद झुग्गी बस्ती इलाके से हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पढ़े-लिखे और जिम्मेदार लोगों से इस वायरस के प्रसार को रोकने की योजना को लागू करने में प्रशासन की मदद की उम्मीद की जाती है लेकिन उसके विपरीत वे सहयोग नहीं कर रहे हैं। अधिकारी ने आरोप लगाया, ”इन लोगों की लापरवाही कोविड-19 के मामलों में हाल की वृद्धि की वजह है और इसने सरकार को उन कुछ क्षेत्रों में कड़े लॉकडाउन को फिर से लागू करने पर गौर करने के लिए प्रेरित किया है जहां बड़ी संख्या में संक्रमण सामने आये हैं।’’ अनवर शाह रोड, जोधपुर पार्क, भवानीपुर, अलीपुर, टॉलीगंज, बालीगंज और अन्य क्षेत्रों के हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में हाल ही बड़ी संख्या में कोविड-19 के मामले आये हैं। कोलकाता में इन दिनों रोज 200 लोग संक्रमित हो रहे हैं। शहर में सोमवार को 2,415 कोविड-19 मरीज उपचाराधीन थे। अधिकारी ने कहा, ”राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने हमें इन क्षेत्रों में फिर से कठोर लॉकडाउन प्रावधान लागू करने पर विचार करने की सलाह दी है। अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री लेंगी।’’
मनरेगा के तहत काम की मांग में ‘भारी’ बढ़ोतरी
कोरोना वायरस महामारी की वजह से चालू वित्त वर्ष में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत काम या रोजगार की मांग में भारी इजाफा हुआ है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस रोजगार योजना के तहत कुल 1.01 लाख करोड़ रुपये के आवंटन में से करीब 42 प्रतिशत राज्यों को वितरित किया जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि मनरेगा के तहत चालू वित्त वर्ष में रोजगार की मांग जितनी तेजी से बढ़ी है उसके मद्देनजर मांग को पूरा करने के लिए अच्छी-खासी राशि की जरूरत होगी। लॉकडाउन की वजह अपने गृह राज्यों को वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को मदद के लिए सरकार ने मनरेगा का दायरा बढ़ाया है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि अब शौचालय के निर्माण और ड्रगन फ्रूट लगाने के काम को भी इसके तहत लाया गया है। सूत्रों ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय के निर्माण पर श्रम की लागत मनरेगा के तहत दी जाएगी। इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट लगाने के काम को भी मनरेगा के कार्यों की सूची में जोड़ा गया है। यह मुख्यत: पूर्वोत्तर राज्यों में होता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि मनरेगा के तहत कार्यो का दायरा अपने घरों को लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए बढ़ाया गया है। सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय का कहना है कि इस योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में अतिरिक्त कोष की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि पिछले साल की तुलना में रोजगार की मांग दोगुना से अधिक हो गई है। सूत्रों ने कहा कि योजना के तहत कुल आवंटन 1.01 लाख करोड़ रुपये है। इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत आवंटित 40,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। कुल आवंटित राशि में 43,000 करोड़ रुपये राज्यों को वितरित की जा चुकी है।
मिजोरम में एनडीआरएफ के पांच कर्मी संक्रमित
मिजोरम में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के पांच कर्मियों सहित कम से कम छह लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जिसके बाद राज्य में संक्रमण के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 197 हो गई है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सोमवार रात को 49 नमूनों की जांच की गई थी जिनमें से छह लोग संक्रमित पाए गए। पांचों एनडीआरएफ कर्मी आइजोल से 15 किमी दूर लुंगवेढ़ में तैनात हैं। उन्होंने हाल ही में मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मणिपुर और असम की यात्रा की थी। संक्रमण का छठवां मामला सियाहा जिले की एक महिला का है जो हाल ही में दिल्ली से लौटी है। लौटने के बाद उन सभी को पृथक-वास में रखा गया था। चार जुलाई को 10 एनडीआरएफ कर्मियों में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई थी। वर्तमान में राज्य में कोविड-19 के 58 मरीजों का उपचार चल रहा है और 139 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं। राज्य में आइजोल जिले में सर्वाधिक 26 उपचारीधीन मरीज हैं जबकि सियाहा में 14, लुंगलेई में आठ, लांगतलाई और मामित में चार-चार मरीजों का इलाज चल रहा है।
टीके के क्लीनिकल परीक्षण की प्रक्रिया शुरू
कोविड-19 के इलाज के लिए विकसित किए गए टीके ‘कोवेक्सिन’ के क्लीनिकल ट्रायल (नैदानिक परीक्षण) को आयोजित करने की प्रक्रिया मंगलवार को हैदराबाद के निजाम आयुर्विज्ञान संस्थान (एनआईएमएस) में शुरू की गई। राज्य सरकार द्वारा संचालित इस अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। एनआईएमएस के निदेशक डॉ. के. मनोहर ने कहा, ‘हम स्वस्थ लोगों का चयन करेंगे और उनके खून के नमूने लेकर नयी दिल्ली में नामित प्रयोगशालाओं में भेजेंगे। वे हरी झंडी देंगे। इसके बाद जिन लोगों को दवा दी जानी है, उनकी जांच के बाद, पूरी निगरानी में टीके की पहली खुराक दी जाएगी।’ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) ने टीके के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 12 चिकित्सा संस्थानों एवं अस्पतालों का चयन किया है, जिनमें एनआईएमएस भी शामिल है। चिकित्सा अधिकारी ने कहा, ‘हर चीज आईसीएमआर को भेजी जाएगी, जहां आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है। हमने पहले ही लोगों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है। हम सबसे पहले कैमरे पर व्यक्ति की सहमति लेंगे।’ क्लीनिकल ट्रायल के लिए कुल कितने लोगों की आवश्यकता होगी, इस पर मनोहर ने कहा कि कम से कम 30 लोगों की जरूरत होगी। आईसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर भारत बायोटेक ने कोविड-19 के इलाज के लिए ‘कोवेक्सिन’ टीका विकसित किया है। भारत के दवा महानियंत्रक की ओर से हाल में इस टीके के मानव परीक्षण की अनुमति दी गई थी।
वंदे भारत मिशन
केंद्र ने मद्रास उच्च न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया कि वंदे भारत मिशन के जरिए दो महीने से भी कम समय में 137 देशों में फंसे 5,03,990 भारतीयों को स्वदेश लाया गया है। उसने बताया कि इस मिशन के जरिए जिन राज्यों के सर्वाधिक निवासी लौटे हैं, उनकी सूची में तमिलनाडु चौथे नंबर पर है। भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आर शंकरनारायणन ने बताया कि दूसरे देशों में फंसे केरल के सर्वाधिक (94,085) निवासी स्वदेश लौटे। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात एवं आंध्र प्रदेश के निवासी लौटे हैं। मिशन के जरिए लौटे सर्वाधिक भारतीय यूएई में (57,305) फंसे थे। इसके बाद कुवैत, कतर, ओमान, सऊदी अरब और अमेरिका में फंसे भारतीयों को वापस लाया गया। उन्होंने बताया कि नेपाल से 91,193 लोगों को जमीनी सीमा चौकियों के जरिए वापस लाया गया। शंकरनारायणन ने बताया कि मिशन के चौथे चरण में विभिन्न देशों से 218 और उड़ानें भारत आएंगी, जिनमें से 25 से अधिक तमिलनाडु में उतरेंगी। उन्होंने द्रमुक की जनहित याचिका के जवाब में आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार राज्य में इस प्रकार के मिशन को अनुमति देने से इनकार कर रही है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने कहा कि पहले राज्य सरकार का मंजूरी देने से इनकार करना समस्या थी और अब जब राज्य ने स्पष्ट किया है कि उसे इन उड़ानों को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, तो केंद्र को राज्य के उन 25,939 निवासियों को वापस लाने के लिए समाधान खोजना होगा, जो अब भी अन्य देशों में फंसे हैं। विल्सन ने कहा, ‘‘हमें 25,939 लोगों को वापस लाने के लिए कम से कम 146 और विमानों की आवश्यकता होगी।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिन फंसे लोगों को वित्तीय सहायता की आवश्यकता है, उन्हें भारतीय समुदाय कल्याण निधि से वित्तीय मदद दी जानी चाहिए, जो कि अभी तक नहीं दी गई है। शंकरनारायणन ने कहा कि तमिलनाडु में कम उड़ानें आने का मतलब यह नहीं है कि राज्य निवासी लौट नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा आवश्यक नहीं है कि इस प्रकार की उड़ान तमिलनाडु में ही उतरें। वे दूसरे राज्यों में भी उतर रही हैं और इसके बाद राज्य में लोगों को वापस लाया जा रहा है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति आर. हेमलता की खंडपीठ ने केंद्र को राज्य के 25,939 निवासियों की वापसी संबंधी निर्देश देने और अदालत को इस संबंध में 20 जुलाई तक सूचना देने का आदेश दिया।
उप्र सरकार से रिपोर्ट तलब
उच्चतम न्यायालय ने कानपुर के आश्रय गृह में कोरोना वायरस से संक्रमित मिलीं 57 नाबालिग लड़कियों के बारे में छपी खबरों पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच देश भर में संरक्षण में रह रहे बच्चों- भले ही वे किशोर गृह हों, पालक घर या रिश्तेदारों के साथ रह रहे हों- की स्थिति पर स्वत: संज्ञान लिया है और उसने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में तीन अप्रैल को दिये गये निर्देशों के अनुपालन पर सभी राज्यों से रिपोर्ट मांगी है। हाल में, वकील अपर्णा भट ने एक आवेदन दायर कर 57 नाबालिग लड़कियों के लिये उचित ‘‘उपचार एवं सुविधाओं” का अनुरोध किया था, जो उत्तर प्रदेश के कानपुर के आश्रय गृह में कोविड-19 की जांच में संक्रमित मिली थीं। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के दौरान, तमिलनाडु की वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि चेन्नई के रोयापुरम में सरकारी आश्रय गृह में कोरोना वायरस से संक्रमित 35 बच्चे अब स्वस्थ हो गए हैं और फिर से केंद्र में आ गए हैं। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को न्यायमित्र नियुक्त किया और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा ओडिशा जैसे राज्यों को शुक्रवार तक न्याय मित्र को अपने जवाब देने का निर्देश दिया। पीठ इस मामले में अब 13 जुलाई को आगे सुनवाई करेगी। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मणिपर के अलावा बाकी सभी राज्यों ने हमारे 11 जून के आदेश के अनुरूप अपने जवाब दाखिल कर दिये हैं।’’ पीठ ने आगे कहा, ‘‘सभी राज्यों के एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड को निर्देश दिया जाता है कि उनके द्वारा दाखिल जवाब की प्रति दो दिन के भीतर न्याय मित्र को सौंपी जाये। एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड को इन रिपोर्ट की डिजिटल प्रति भी देने की अनुमति दी जाती है।’’ न्यायालय ने तीन अप्रैल को सभी राज्य सरकारों और कई अन्य अधिकारियों को संरक्षण में रहने वाले बच्चों की संरक्षा के लिए कई निर्देश दिये थे। न्यायालय ने यह भी कहा था कि जैसे-जैसे वैश्विक महामारी बढ़ रही है, यह महत्त्वपूर्ण है कि बाल देखभाल संस्थानों, देखभाल एवं संरक्षण केंद्रों और पालक गृहों एवं रिश्तेदारों के पास रह बच्चों में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्राथमिकता से तत्काल कदम उठाए जाएं। न्यायालय ने कहा था कि किशोर न्याय बोर्ड को निगरानी गृहों में रहने वाले ऐसे सभी बच्चों को जमानत पर रिहा करने के लिये कदम उठाने पर विचार करना चाहिए, बशर्ते ऐसा नहीं करने के लिये उसके पास ठोस वजह हों।
केरल में कोरोना वायरस के 272 नए मामले आए
केरल में मंगलवार को कोरोना वायरस के एक दिन में सबसे ज्यादा 272 नए मरीजों की पुष्टि हुई। इसके बाद राज्य में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या 5,894 पहुंच गई। वहीं 1.86 लाख लोगों को निगरानी में रखा गया है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने संवाददाताओं से कहा कि नए मामलों में से 157 विदेश से आए हैं और 38 अन्य राज्यों से। संक्रमितों के संपर्क में आने से 68 लोग कोरोना वायरस से प्रभावित हो गये हैं जो अबतक की सबसे ज्यादा संख्या है। वहीं 15 मामलों के स्रोत का पता नहीं है। मुख्यमंत्री के मुताबिक, अबतक सीआईएसएफ के 66 कर्मी और सेना के 23 जवान संक्रमित हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 7,516 नमूनों की जांच की गई थी। निगरानी में रखे गए 1.86 लाख लोगों में से 3,034 अस्पतालों में हैं, जिनसे 318 को आज दाखिल कराया गया है।
बिहार में कोरोना से अब तक 98 की मौत
बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण पिछले 24 घंटों के दौरान एक और व्यक्ति की मौत हो जाने से इस रोग से मरने वालों की संख्या 98 हो गयी। वहीं राज्य में संक्रमित हुए लोगों की संख्या मंगलवार को बढकर 12525 हो गयी। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण से पिछले 24 घंटे के दौरान कैमूर जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गयी। बिहार के पटना जिले में अब तक 12 मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि दरभंगा में 07, समस्तीपुर में 06, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पूर्वी चंपारण, रोहतास एवं सारण में 05—05, बेगूसराय में 04, भोजपुर, गया, जहानाबाद, खगडिया, नवादा, सीतामढी एवं वैशाली में 03—03 मरीजों की मौत हुयी है। बिहार में पिछले 24 घंटों के भीतर कोरोना वायरस संक्रमण के 385 नए मामले सामने आने के साथ प्रदेश में कुल मामले बढकर 12525 हो गये। पटना जिले में अब तक 1114 मामले सामने आए हैं जबकि भागलपुर में 643, मधुबनी में 536, बेगूसराय में 528, मुजफ्फरपुर में 511, सिवान में 509, मुंगेर में 449, नालंदा में 386, समस्तीपुर में 385, दरभंगा में 384, कटिहार में 389, रोहतास में 379, नवादा में 371, खगडिया में 338 मामले सामने आए हैं। शेष मामले अन्य जिलों से आए हैं। बिहार में अबतक 2,69,277 नमूनों की जांच की जा चुकी है और कोरोना वायरस संक्रमित 9338 मरीज ठीक हुए हैं।
पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक कम किया
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कोविड-19 संकट के बीच छात्रों पर से पढ़ाई का बोझ कम करने के उद्देश्य से अकादमिक वर्ष 2020-21 के लिये 9वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मंगलवार को यह घोषणा की। मूल विषयों को बरकरार रखते हुए पाठ्यक्रम को छोटा किया गया है। निशंक ने ट्वीट किया, ‘देश और दुनिया में व्याप्त असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए सीबीएसई को पाठ्यक्रम संशोधित करने और कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों पर से भार कम करने की सलाह दी गई थी।’ उन्होंने लिखा, ‘मैंने इस फैसले पर, कुछ सप्ताह पहले शिक्षाविदों से सुझाव मांगे थे और मुझे खुशी है कि हमें डेढ़ हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए। इस शानदार प्रतिक्रिया के लिये सभी को धन्यवाद।’ उन्होंने कहा, ‘शिक्षा के महत्व के मद्देनजर मूल विषयों को बरकरार रखते हुए पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया गया है।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संबंधित पाठ्यक्रम समिति ने, बोर्ड के निदेशक मंडल की अनुमति मिलने के बाद पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव को अंतिम रूप दिया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बोर्ड ने स्कूलों के प्रमुखों और शिक्षकों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि जिन विषयों को हटा दिया गया है, उन्हें दूसरे विषयों से जोड़ने के लिये जरूरत के हिसाब से पढ़ाया जाना चाहिये। हालांकि आंतरिक मूल्यांकन और साल के अंत में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के विषयों में कोई कमी नहीं की गई है।’ पहली से आठवीं कक्षा तक के लिए, राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पहले ही एक वैकल्पिक कैलेंडर और अध्ययन के तरीकों को अधिसूचित कर चुकी है। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देशभर के विश्वविद्यालय और स्कूल 16 मार्च से बंद हैं। कोविड-19 के चलते 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, जो अगले दिन से लागू हो गया था। हालांकि सरकार कई तरह की पाबंदियों में ढील दे चुकी है, लेकिन स्कूल तथा कॉलेज अब भी बंद हैं।
गोवा में कोविड-19 के 90 नए मामले सामने आए
गोवा में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 90 नए मामले सामने आए, जिसके साथ ही राज्य में कुल आंकड़ा 1,903 तक पहुंच गया। एक अधिकारी ने कहा कि स्वस्थ होने के बाद 95 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। राज्य में वर्तमान में 739 मरीज उपचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि मंगलवार को 3,197 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 90 में संक्रमण की पुष्टि हुई जबकि 1,050 के नतीजे आना बाकी है। गोवा में अब तक पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेश अमोनकर समेत आठ लोगों की इस घातक वायरस के कारण मौत हो चुकी है। अब तक राज्य में 79,864 नमूनों की जांच की जा चुकी है।
आठ बिंदुओं वाला प्रोटोकॉल जारी
संसदीय स्थायी समिति की बैठकों में भाग लेने वाले सांसदों को कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से बचने के लिए छह फुट की दूरी पर बैठना होगा और एक समय पर पैनल के सामने संबंधित मंत्रालय के दो से अधिक गवाह पेश नहीं हो सकते। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और गृह मामलों की स्थायी समितियों की क्रमश: 10 और 15 जुलाई को बैठकों से पहले राज्यसभा सचिवालय ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से मद्देनजर आठ बिंदुओं वाला प्रोटोकॉल जारी किया है। गृह मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष आनंद शर्मा ने तीन जून को बैठक बुलाई थी, लेकिन सदस्यों ने वैश्विक महामारी संबंधी मौजूदा हालात के मद्देनजर बैठक में शामिल होने में असमर्थता जाहिर की थी। यात्रा प्रतिबंधों एवं पृथक-वास संबंधी अनिवार्यता के कारण सदस्यों को पैनल की बैठक में शामिल होने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर बैठक में सदस्यों की ऑनलाइन भागीदारी की अनुमति देने का अनुरोध किया है। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा एवं राज्यसभा के दो पीठासीन अधिकारियों ने ऑनलाइन पैनल बैठक करने के मामले पर पहले विचार-विमर्श किया था, लेकिन उन्होंने मौजूदा नियमों के कारण इसकी मंजूरी नहीं दी थी। ऑनलाइन बैठकों के लिए संसद की नियम समिति को नियमों में बदलाव करना होगा और इसके लिए संसद में प्रस्ताव की आवश्यकता होगा। राज्यसभा में विभाग संबंध आठ स्थायी समितियां हैं, जिनमें से दो के अध्यक्ष कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और जयराम रमेश हैं। रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘माननीय एम. वेंकैया नायडू, विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी स्थायी समिति की बैठक 10 जुलाई को होनी है। सभी दलों के सांसदों ने समिति की ऑनलाइन बैठक का अनुरोध किया है ताकि कोविड-19 संबंधी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मामलों पर चर्चा की जा सके। मुझे उम्मीद है कि आप इसकी अनुमति देंगे। जहां चाह है, वह दक्षता है।’’ रमेश ने सभापति को लिखे पत्र में कहा, ‘‘समिति के कई सदस्यों ने यात्रा प्रतिबंधों, पृथक-वास की अनिवार्यता और अन्य पाबंदियों के कारण बैठक में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की है। मुझे इस बात को लेकर भी संशय है कि हम कोरम पूरा कर भी पाएंगे या नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर दल के सदस्य ने समिति की ऑनलाइन बैठक कराने का अनुरोध किया है। निस्संदेह ऐसा किया जा सकता है- कई अन्य देशों ने संसद का पूरा सत्र ऑनलाइन माध्यम से पूरा किया है। मैं एक बार फिर आप से अनुरोध करता हूं कि स्थायी समितियों की ऑनलाइन बैठक की अनुमति दी जाए।’’ राज्यसभा समितियों की बैठक संबंधी प्रोटोकॉल के तहत सदस्यों को सामाजिक दूरी के नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा। इस प्रोटोकॉल में कहा गया है, ‘‘समिति के सदस्य छह फुट की दूरी पर बैठेंगे और अधिकतम संभावित साझीदारी संभव बनाने के लिए उचित प्रबंध किए जाएंगे।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘एक समय पर समिति के सामने साक्ष्यों के लिए मंत्रालय/विभाग के केवल दो गवाहों को अनुमति दी जाएगी और यदि और गवाहों से पूछताछ की जानी है, तो यह बारी-बारी से किया जाएगा। समितियों को जिन गवाहों से पूछताछ करनी है, उसकी कोई सीमा निर्धारित नहीं है।’’ इसमें यह भी कहा गया है कि बैठक की सामग्री की सॉफ्ट कॉपी सदस्यों को दी जाएगी और पत्रकारों को समिति कक्षों में बैठाया जाएगा। समितियों संबंधी अधिकारियों की भागीदारी पर प्रतिबंध होगा। बैठकों में भाग लेने वाले सदस्यों का पहले पता कर लिया जाएगा, ताकि आवश्यक साजो-सामान सुनिश्चित किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि समिति कक्षों के बाहर हैंड सैनेटाइजर, एक बार इस्तेमाल होने वाले मास्क और दस्ताने रखे जाएंगे। उनकी हाजिरी भी बाहर लगाई जाएगी।