समय से पहले कुछ नहीं मगर चलिए समय की रेत पर….
(हम समय से मुंह नहीं मोड़ सकते कि समय हमारा मित्र नहीं है। समय को मित्र बनाना पड़ता है, समय कभी हमारी प्रतीक्षा में पलक पांवड़े बिछाकर नहीं बैठता। हमें ही उसके साथ कदम मिलाकर चलना होता है। समय अपनी गति से दिन-रात बिना विश्राम के चलता है। यह हमारी समझदारी है कि हम उसके सहारे ही जीवन में वह सब कुछ प्राप्त कर सके जिसकी हम कामना करते हैं। यदि मनुष्य समय का मूल्य पहचान ले तो सफलता की सीढ़ियों पर चढने से कोई नहीं रोक सकता। जीवन में हर कदम पर असफ़लता का डर होता है लेकिन हम अपनी सामर्थ्य और शक्ति से समय की रेत पर अपने निशान छोड़ इस दुनिया से विदा ले सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बन सकते हैं।)

