लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का माखौल न बनाएं केजरीवाल – वीरेन्द्र सचदेवा

नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में दुसरे प्रयास में भी दिल्ली को मेयर नहीं मिल पाया है जबकि चुनाव संपन्न हुए महीनो बीत चुके हैं।6 जनवरी को ही मेयर का चुनाव होना था लेकिन जनप्रतिनिधियों के अमर्यादित व्यव्हार के कारण चुनाव तो दूर नवनिर्वाचित पार्षदों का शपथ ग्रहण भी नहीं हो पाया था।दरअसल जबसे अरविन्द केजरीवाल सत्ता में आये हैं तबसे उनका दिल्ली के उपराजयपाल से लगभग सभी मुद्दों पर भयंकर असहमति रहती है।मानो उन्हें पता ही न हो कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है लेकिन सच्चाई तो ये है कि उन्हें सारी जानकारी है और यही कारण है कि पढ़ेलिखे समाज में उनके इस व्यव्हार को लेकर जबरदस्त नाराजगी है। इन बातों का जिक्र यहां लाजमी हो जाता है क्योंकि महीनों बीत जाने के बाद भी दिल्ली को मेयर अबतक नहीं मिल पाया है।24 जनवरी को उपराजयपाल विनय सक्सेना ने पुनः तिथि निर्धारित की थी लेकिन इस बार भी मेयर नहीं चुना जा सका लेकिन संतुष्टि इस बात की है कि निगम पार्षदों को काम से कम शपथ ग्रहण हो गया ।

आज जारी विज्ञप्ति में दिल्ली प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने दिल्ली नगर निगम को पंगु बनाने को आरोप अरविन्द केजरीवाल पर लगते हुए कहा कि उनकी अराजक नीति इसके लिए जिम्मेदार है ।ये परम्परा रही है कि मेयर चुनाव में गुप्त मतदान होता है लेकिन वे कभी इसका विरोध करते हैं तो कभी चुप रह जाते हैं ।एक तरह से वे लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का माखौल बनाते रहते हैं।

उन्होंने  कहा है कि दिल्ली नगर निगम सदन में जिस तरह आम आदमी पार्टी ने कल सदस्यों के शपथ के बाद हंगामा करवाया और पीठासीन अधिकारी के द्वारा सदन स्थगन के बाद भी देर रात तक सदन में धरना दिया, वह आम आदमी पार्टी की अराजक राजनीति का एक और प्रमाण है।उन्होंने  कहा है कि यह समझ से परे है कि आखिर आम आदमी पार्टी बहुमत होते हुए भी नगर निगम सदन में गुप्त मतदान से क्यों घबराती है। उन्होंने कहा कि कल हमने देर शाम देखा कि आप सांसद संजय सिंह कहते रहे कि हम तो 150 यहां बैठे हैं, अभी मतदान करा लीजिए पर जब मतदान का वक्त था तब आम आदमी पार्टी ने ऐसी परिस्थितियां खड़ी कर दी जिनके चलते पीठासीन अधिकारी को सदन स्थगित करना पड़ा।