सर्दी में भी डंक मार रहे मच्छर

बाल मुकुन्द ओझा

नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने डेंगू, मलेरिया, जीका और जापानी एन्सेफलाइटिस जैसी मच्छर जनित बीमारियों को रोकने के लिए ने नई स्वदेशी तकनीक को खोजा है। इसकी मदद से हर साल लाखों लोगों को अपनी चपेट में लेने वालीं मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी। आईसीएमआर के मुताबिक, इस खोज से मच्छर जनित बीमारियों के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूती मिलेगी। गर्मी हो या सर्दी मच्छरों का प्रकोप दोनों ऋतुओं में सामान रूप से देखने को मिल रखा है। कुछ सालों पहले तक मच्छर गर्मी और बारिश के दिनों में ही पनपते थे। सर्दी के दिनों में ठंड की वजह से वे बाहर नहीं निकलते थे। अब ठंड का भी उनपर कोई असर नहीं रहा। अब देश में सर्दी की शुरुआत हो गई है। कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। गर्मी में लोगों को डंक मारने वाले मच्छरों पर सर्दी का सितम भी बेअसर है। ठण्ड में भी मच्छर का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। चिकित्सकों का कहना है कहना है कि समय के साथ मच्छर में ठंड सहने की क्षमता बढ़ गई है। यही कारण है कि तापमान में लगातार गिरावट के बावजूद डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियों के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि सर्दियों के चलते मच्छर अधिक सक्रिय हो गए हैं तथा ठंड के मौसम में भी ये अब अपने आपको ढाल रहे हैं। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के एक नए शोध ने खुलासा किया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते ये रोग फैलाने वाले मच्छर साल भर में हर दिन की समस्या बन सकते हैं।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार मच्छरों के काटने से हर साल लगभग 10 लाख लोग मौत की चपेट में आ जाते हैं। यह सर्दी का मौसम है। इन दिनों मच्छर बहुत अधिक मात्रा में पनपते है। सर्दी के दिनों में हर साल मच्छरों के प्रकोप के कारण बड़ी संख्या में लोग डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का शिकार बनते हैं। मच्छर के काटने से होने वाली अलग-अलग बीमारियों से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। तापमान में गिरावट होने से हर तरफ मच्छर पनपने लगते हैं। अन्य बीमारी ने किसी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया उससे कहीं अधिक एक छोटे से मच्छर ने पहुंचाया है। एक छोटा सा मच्छर एक बार में व्यक्ति का 0.1 मिलीमीटर तक खून चूस लेता है। इससे निपटने के कई अभियानों को चलाए जाने के बाद भी हर साल सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों मलेरिया और डेंगू के केस सामने आते रहते हैं सरकार के मच्छरों से निपटने के तमाम अभियानों के बाद भी मच्छरजनित बीमारियों के मामले हर साल सामने आ रहे हैं। इन्हें हम साधारण समझते है मगर है ये स्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरनाक। विभिन्न बीमारियों के जनक है मच्छर जिनसे जान भी जा सकती है।
मादा एनोफेलीज कूलिसिफासीस मलेरिया का प्रमुख रोग वाहक है, जो कि आमतौर पर मनुष्यों के साथ-साथ मवेशियों को भी काटता है। एनोफेलीज (मलेरिया की रोगवाहक) वर्षा जल और इकट्ठा हुए जल (पोखर), गड्ढे, कम जल युक्त नदी, सिंचाई माध्यम (चौनल), रिसाव, धान के खेत, कुंए, तालाब के किनारे, रेतीले किनारे के साथ धीमी धाराओं में प्रजनन करती है। एनोफेलीज मच्छर सबसे ज्यादा शाम और सुबह के बीच काटता है। मादा एडीज एजिप्ट मनुष्य में डेंगू, चिकनगुनिया, जीका और पीला बुखार संचारित करती है। मादा एडीज सबसे अधिक दिन के समय काटती है तथा काटने का चरम समय संध्या से पहले शाम या सुबह के दौरान होता है। एडीज एजिप्ट मच्छर किसी भी प्रकार के मानव निर्मित कंटेनरों या पानी की थोड़ी सी मात्रा से युक्त भंडारण करने वाले कंटेनरों में प्रजनन करती है। एडीज एजिप्ट के अंडे एक वर्ष से अधिक समय तक बिना पानी के जीवित रह सकते हैं। एडीज एजिप्ट सामान्यत चार सौ मीटर की औसत पर उड़ती है, लेकिन यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक मनुष्य के माध्यम से अकस्मात स्थानांतरित होती है। मादा मच्छरों के लिए केवल रक्त आहार और जानवरों को काटने की आवश्यकता होती है, जबकि पुरुष मच्छर काटते नहीं है, लेकिन वे फूलों के मकरंद या अन्य उपयुक्त शर्करा स्रोत को खाते हैं।
मच्छरों से होने वाली बीमारियों से अपना और अपने परिवार का बचाव करना है तो अपने आस-पास न सिर्फ अपने घर बल्कि पूरे इलाके में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें। घर में या घर के बाहर जलभराव न होने दें और अगर घर के आस-पास खुली नालियां हैं तो उन्हें तत्काल रूप से बंद करा दें। जागरूकता से ही हम मच्छरों से अपना बचाव कर सकते है। बाजार में मिलने वाले क्वायल और लिक्विड से कुछ समय के लिए मच्छरों से मुक्तिमिल जाती है लेकिन ये स्थाई उपाय है। दादी नानी के कुछ आजमाए हुए नुस्खे जिसके घरेलू उपाय से मच्छरों को मात देना सुरक्षित और सुविधाजनक माना जाता है। इनमें घरों और आस पास की साफ-सफाई से लेकर, मच्छरदानी का प्रयोग, नीम का तेल, नींबू रस और कपूर , तुलसी, लहसुन और पुदीना भी है कारगर उपाय है।
(लेखक वरिष्ठ स्तम्भकार एवं पत्रकार हैं)