प्रो.सिंघल ने सामुदायिक और भौगोलिक ज्ञान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया

चलते फिरते ब्यूरो
राजस्थान में विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी ही एक प्रतिभा है प्रोफेसर पी.के.सिंघल जो चुपचाप बिना प्रचार के काम करते हैं। विख्यात भूगोलविद प्रो.सिंघल ने अपने भूगोल में अध्यापन कार्य के साथ – साथ सामुदायिक और भौगोलिक ज्ञान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने का प्रयास निजी स्तर पर किया है।स्वयं के भौगोलिक ज्ञान को समृद्ध करने और भौगोलिक उत्सुकता के संतुष्ट करने के कई देशों की निजी यात्राएं की। इन यात्राओं का लाभ अध्ययन- अध्यापन और समान्यज्ञान की पुस्तकें लेखन में मिला। इस दौरान यह प्रयास भी रहा कि वह जहाँ भी गया वहां के लोगों को भारत के भौगोलिक ज्ञान से परिचित करवाया। इस प्रकार सामुदायिक और भौगोलिक ज्ञान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने का प्रयास किया।
आपने अब तक तक अमेरिका , हॉंगकॉंग, मकाऊ, दुबई,आबूधाबी,नेपाल आदि देशों की यात्राएं की। इन यात्राओं के दौरान न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, वाशिंगटन, बोस्टन, लासवेगास (अमेरिका), दुबई ,अबुधाबी (संयुक्त अरब अमीरात) , काठमांडू ,पोखरा ( नेपाल) ,हॉंगकॉंग, मकाऊ ( दक्षिण-पूर्वी एशिया)आदि शहरों के सांस्कृतिक और भौगोलिक पक्षों का निकट से अवलोकन औऱ अध्ययन किया।अमेरिका में  विश्व के सबसे बड़े ओर ऊंचे नियाग्रा जलप्रपात (170 फ़ीट ऊंचा) जो अमेरिका-कनाड़ा की सीमा पर है और विश्व की सबसे गहरी केन्यान “ग्रांड केनियान” (1829 मीटर गहरी)का वहां जाकर अवलोकन किया और उनके भू आकृतिक तथ्यों का अध्ययन किया। ये दोनों स्थान अमेरिका के सबसे सुंदर पर्यटक स्थलों में से एक हैं।
 अपनी यात्रा के दौरान यूरोप के आल्पस पर्वत ,एशिया के हिमालय पर्वत और अमेरिका के अपलेशियन ओर रॉकी पर्वतों को भी हवाई यात्रा के दौरान उनके दुर्लभ प्राकृतिक दृश्यों को देखने का अवसर मिला। आल्पस,हिमालय और रॉकी पर्वत पूरी तरह से बर्फ से ढके हुए थे। न्यूयॉर्क की गगन चुम्बी इमारतें और वाशिंगटन के भव्य महल जैसी इमारतों का विश्व में कोई सानी नही है। इसी यात्रा के दौरान  स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी ,विश्व बैंक,अंतरास्ट्रीय मुद्रा कोष तथा संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय जो न्यूयॉर्क में है की इमारतों का भी बाहर से अवलोकन किया जो बहुत ही अदभुत था।
यात्रा के दौरान  विश्व की सबसे बड़ी मीठी झील सुपीरियर और खारी झील काला सागर का भी अध्यन किया। हॉन्गकॉन्ग में विश्व की सबसे ऊंची महात्मा बुद्ध की कांसे की बनी प्रतिमा को देखने का अवसर मिला जो लांटाउ द्वीप पर स्थित है। यात्रा के दौरान अमेरिका के नियाग्रा वाटरफॉल, दक्षिणी चीन सागर औऱ फारस की खाड़ी आदि का जलपोत के द्वारा यात्रा कर उनके भौगोलिक महत्व  को समझने का प्रयास किया गया। नियाग्रा वाटरफॉल की नौकायन द्वारा उसके आधार केंद्र तक जाकर देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे छोटे देश मकाऊ की यात्रा भी की गई । सम्भवतया यह दक्षिण पूर्व एशिया का सुंदर शहर कहा जा सकता है। यहां के मकाऊ टॉवर के ऊपर जाकर मकाऊ की भौगोलिक स्थिति को समझने का प्रयास किया गया। मध्यपूर्व के अरब देशों में स्थित संयुक्त अरब अमीरात के दुबई और आबूधाबी की भौगोलिक यात्रायें भी द्वारा की गई। दुबई में स्थित विश्व की सबसे ऊंची रिहायशी इमारत बुर्ज खलीफा (828 मीटर) और आबूधाबी में स्थित मरुस्थल की भौगोलिक दृष्टि से यात्रा की गई। बुर्ज खलीफा के ऊपर से जाकर दुबई के नगर नियोजन को समझने का प्रयास किया। अबुधाबी के मरुस्थल विश्व के प्रमुख मरूस्थलों में माने जाते हैं।  यात्रा के दौरान इन मरूस्थलों का अंदर जाकर निकट से अध्ययन किया है। ये स्थान विश्व में पेट्रोल और खजूरों के लिए प्रसिद्ध हैं।
नेपाल जो एक स्थलरूड़ ओर पहाड़ी देश है की भौगोलिक यात्रा भी की गई। यहां के बौद्ध विहार , पशुपतिनाथ मंदिर,हिमालय की ऊंची चोटियाँ शुरू से ही भूगोल के अध्ययन का एक प्रमुख केन्द्र रहा है। काठमांडू घाटी का भ्रमण किया गया और वहां की भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन किया गया। झीलों की नगरी पोखरा और निकट स्थित हिमालय की चोटियों माउंट अन्नपूर्णा और धौलागिरी (8000 मीटर से ऊंची) का निकट से अध्ययन और अवलोकन किया गया।नेपाल से विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट   एवरेस्ट को भी निकट से देखने का अवसर मिला।यह चोटी 8848 मीटर ऊंची है और पूर्णतया हिमाच्छादित है।
परिचय
 प्रो. सिंघल का जन्म 11 जून 1957 को उदयपुर में हुआ और इनका सम्पूर्ण कर्म क्षेत्र कोटा रहा। आपने राजस्थान विश्विद्यालय से भूगोल में बी. ए. आनर्स में टॉप किया और एम. ए.भूगोल  में टॉप कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया। आपने  ज्योमोरफोलॉज़ी एंड ह्यूमन सेटलमेंट इन माही-ऐराव दोआब” विषय पर अपना डिसर्टेशन कार्य किया। अपने अध्यापन के दौरान 1985 में सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर से “एग्रीकल्चरल टाइपोलॉजी ऑफ उदयपुर बेसिन” विषय पर एम.फिल. की उपाधि गोल्ड मेडल के साथ प्राप्त की। 
यह 30 नवम्बर 1979 से राजकीय महाविद्यालय ,कोटा में लेक्चरार ( भूगोल) की सेवा प्रारंभ कर 30 जून 2016 को  कन्या राजकीय महाविद्यालय, बूंदी से प्राचार्य पद से सेवा निवृत हुए। इसी मध्य आप कोटा महाविद्यालय में भूगोल विभाग के हैड नियुक्त किए गए।
यह राष्ट्रीय स्तर की भू- आकृति विज्ञान परिषद के आजीवन सदस्य होने के साथ – साथ राजस्थान भूगोल परिषद के भी आजीवन सदस्य हैं । आपने 1983 – 84 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित “एयर फ़ोटो इंटरप्रेटेशन रिफ्रेशर कोर्स” में सहभागिता की। वर्तमान मे कोटा विश्वविद्यालय, कोटा में भूगोल विभाग में गेस्ट फेकल्टी के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। भूगोल के साथ – साथ आप सामान्य ज्ञान में पारंगत हैं और मार्ग दर्शन करते हैं।
आपने भारत और राजस्थान के भूगोल, संस्कृति और समान्यज्ञान पर अब तक भारत का भूगोल और इतिहास, राजस्थान का सामान्य ज्ञान, राजस्थान : वार्षिक संदर्भ ग्रंथ, राजस्थान ज़िला दर्शन, मनोहारी
राजस्थान,म्हारो राजस्थान,राजस्थान की सांस्कृतिक परम्पराएं, राजस्थान: इनक्रेडिबल स्टेट ऑफ इंडिया प्रमुख पुस्तकों सहित अब तक 18 पुस्तकों का लेखन किया है। कुछ स्वयं लिखी है कुछ सहयोगी लेखकों के साथ।