संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने रचा नया इतिहास

देवानंद राय

9 अगस्त का दिन भारत के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज होगा क्योंकि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेंगे। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर प्रधानमंत्री मोदी ने एक नया इतिहास रचाएंगे सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करने वाले वो प्रथम भारतीय होंगे भारत दो वर्षों के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य बना है भारत के अध्यक्ष बनने मात्र से ही पाकिस्तान और चीन परेशान हो चुके हैं क्योंकि भारत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद की लड़ाई के लिए एकजुट होने का आह्वान करता है और हर मंच पर पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा करता है तो वहीं चीन की विस्तारवादी नीति का कड़ा विरोध करता है इस कारण यह दोनों देश भारत को फूटी आंख भी नहीं सुहाते अब भारत के अध्यक्ष बनने पर इन दोनों देशों के उल्टे-पुल्टे काम और नीतियों पर लगाम लग सकेगी भारत ऐसे समय पर यूनाइटेड नेशन सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बना है जब अफगानिस्तान में हालात सही नहीं है वहां तालिबान का बढ़ता प्रभाव भारत के लिए चिंता का विषय बन चुका है क्योंकि भारत ने वहां पर अरब और डॉलर का निवेश कर रखा है पाकिस्तान का तालिबान शह देना और चीन की अफगानिस्तान के संसाधनों पर गिद्ध दृष्टि दोनों पर भारत को लगाम लगाना होगा इसलिए भारत के लिए इस महत्वपूर्ण परिषद की अध्यक्षता करना भारत के लिए प्लस प्वाइंट होगा सौभाग्य की बात है कि अगस्त के महीने में हम आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो वहीं भारत यूनाइटेड नेशन में अध्यक्ष बन कर नया इतिहास लिख रहा है भारत में समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और शांति प्रक्रिया को अपना प्रमुख एजेंडा बताया है सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर महीने बदलती है और यह अंग्रेजी के अल्फाबेटिक क्रम में होता है जिसके तहत फ्रांस के बाद भारत का नंबर आया है हालांकि 2 अगस्त को ही भारत में कार्यभार संभाल लिया था भारत सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के तौर पर अपना कार्यकाल 1 जनवरी 2021 से शुरू किया है भारत का कार्यकाल दो वर्ष का है जिसमें उसे दो बार अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा इसमें पहली अध्यक्षता 2021 के अगस्त महीने में तथा दूसरी 2022 के दिसंबर में होगी यह सौभाग्य की बात है कि इस अगस्त महीने के लिए भारत अध्यक्ष बनेगा इससे पहले 1992 में कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने भारत की ओर से इस परिषद में भाग लिया था परंतु उन्होंने अध्यक्षता नहीं की थी।
भारत से पहले 9 बार इस परिषद की अध्यक्षता कर चुका है भारत पहली बार जून 1950 में यूनाइटेड नेशन सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता किया, दूसरी बार सितंबर 1967 में तीसरी बार दिसंबर 1972 में, चौथी बार अक्टूबर 1977 में पांचवी बार फरवरी 1985 में, छठी बार अक्टूबर 1991 में 1992 में आठवीं बार तथा 2001 में नवीं और 2012 में भारत का दसवां कार्यकाल था भारत सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य नहीं हैं। सुरक्षा परिषद में कुल 15 देश है जिसमें से पांच स्थाई है जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन है इन्हें पी5 या बिग फाइव भी कहा जाता है भारत में सुरक्षा परिषद में सुधार की बात उठाता है और स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने की बात कहता है भारत को स्थाई सदस्य बनाने का समर्थन करते हैं। परंतु अभी तक भारत के अस्थाई सदस्य बनने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठ सका है जिसका मुख्य कारण चीन के द्वारा अड़ंगा लगाना है।भारत में यूनाइटेड नेशन सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते हुए अपने एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है 2 अगस्त को अध्यक्षता संभालने के बाद हाल ही में हुए एक बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति पर होने वाले बैठक में भारत ने पाकिस्तान को आमंत्रित ही नहीं किया जिससे पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है जबकि बैठक में सभी देशों ने एक सुर में भारत की बात का समर्थन करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में हिंसा का समर्थन किसी भी कीमत पर नहीं किया जाएगा चीन इस मुद्दे पर अगर अफगानिस्तान में हिंसा का समर्थन करता है या पाकिस्तान का समर्थन करता है तो भारत ने उसकी भी तैयारी कर ली है भारत की तैयारी यह है कि वह चीन के अगर इस पर समर्थन करता है तो भारत पूरी दुनिया में चीन को आतंकवाद का समर्थक के रूप में पेश करेगा जो चीन कभी नहीं चाहेगा इसलिए वह इस मुद्दों पर चुप है और इसका जिम्मेदार अमेरिका को बता रहा है।भारत की अस्थाई सदस्यता को 192 देशों में से 184 देशों ने मान्यता दी है यह भारत के वैश्विक स्तर पर बढ़ते दबदबा और प्रभाव का ही फल है भारत की सुरक्षा परिषद में यह अध्यक्षता भारत का यूनाइटेड नेशन तथा सुरक्षा परिषद में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा जो आने वाले समय में भारत को स्थाई सदस्यता दिलाने में सहायक होंगे भारत को अस्थाई सदस्यता दिलाने में सबसे बड़ा रोड़ा चीन है भारत अपने अध्यक्षीय भाषण में समुद्री सुरक्षा मुद्दे पर बात रखेगाा यूनाइटेड नेशन के ओपन डिबेट में यह पहली बार होगा कि जब समुद्री सुरक्षा पर सभी देश समग्रता से चर्चा करेंगे कि कैसे विभिन्न देश के समुद्री सीमाओं को शेयर करते हैं उनके बीच के समन्वय को और कैसे मजबूत किया जाए तथा समुद्र में होने वाले अपराधों पर कैसे रोक लगाया जाए तथा चीन जैसे देश जो समुद्र में भी अतिक्रमण करने का प्रयास करते हैं उन पर लगाम कैसे लगाया जाए मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में ‘सागर विजन’ रखा था सागर का अर्थ है सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन इस विजन का मुख्य उद्देश्य समुद्री क्षेत्र के बढ़ते उपयोग को लेकर सहकारी उपाय समुद्री सुरक्षा तथा इस फिर समुद्र क्षेत्र को लेकर एक विस्तृत रूपरेखा देना यूनाइटेड नेशन में भारत का बढ़ता हुआ प्रभाव भारत को एशिया में भी सभी देशों से आगे लाकर खड़ा कर देगा भारत की आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति दुनिया में शायद आतंकवाद को जड़ से खत्म करने में एक बड़ा कदम होगा जिसे विश्व के सभी देश भी मानते हैं यह भारत की सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत है।उम्मीद है भारत उन सभी लक्ष्यों को पूरा करेगा जिनकी बात वह करता है और दुनिया को एक नई राह दिखाएगा।